क्या दिल्ली-एनसीआर में एक्यूआई 450 के पार, लोगों का सांस लेना हो गया है दूभर?
सारांश
Key Takeaways
- दिल्ली-एनसीआर में एक्यूआई 450 के पार जा चुका है।
- सरकारी कदमों से बाहरी संपर्क को कम करने का प्रयास किया जा रहा है।
- स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है।
नोएडा, 24 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) पिछले तीन सप्ताह से गंभीर वायु प्रदूषण का सामना कर रहे हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, सोमवार को दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 396 रहा, जो 'बहुत खराब' श्रेणी में आता है।
हालांकि, एनसीआर के विभिन्न क्षेत्रों में स्थिति और भी चिंताजनक है, जहां एक्यूआई 450 के स्तर को पार कर चुका है। पिछले 23 दिनों से यह स्थिति बनी हुई है, और मौसम विभाग के अनुसार, अगले सप्ताह में हवा की गुणवत्ता में सुधार की कोई संभावना नहीं है। विभिन्न निगरानी केंद्रों से प्राप्त आंकड़े प्रदूषण की गंभीरता को दर्शाते हैं।
दिल्ली में आनंद विहार, बवाना, बुराड़ी क्रॉसिंग, मंदिर मार्ग, वजीरपुर और विवेक विहार जैसे स्थानों पर एक्यूआई 'गंभीर' से 'बहुत खराब' श्रेणी में है। एनसीआर की स्थिति और भी चिंताजनक है। गाजियाबाद के लोनी क्षेत्र का एक्यूआई 451 तक पहुंच गया है, जो 'गंभीर' श्रेणी में आता है। गाजियाबाद के इंदिरापुरम (438), संजय नगर (411) और वसुंधरा (429) में भी प्रदूषण का स्तर अत्यधिक है।
नोएडा के सेक्टर-125, 62, 1 और 116 में एक्यूआई 400 के ऊपर है, जबकि ग्रेटर नोएडा के नॉलेज पार्क-V का एक्यूआई 441 दर्ज किया गया है। 'गंभीर' वायु गुणवत्ता का स्वस्थ व्यक्तियों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, और यह हृदय एवं फेफड़ों के रोगियों के लिए बेहद खतरनाक होती है।
इस गंभीर स्थिति को देखते हुए, दिल्ली सरकार ने एहतियाती उपाय करते हुए निजी कार्यालयों को 50 प्रतिशत कर्मचारियों की उपस्थिति के साथ काम करने और शेष को वर्क फ्रॉम होम की अनुमति दी है। इसका उद्देश्य लोगों के बाहरी संपर्क को कम करना और वाहनों के उत्सर्जन को घटाना है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के सात दिवसीय पूर्वानुमान के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर में अगले एक सप्ताह तक कोहरे और स्थिर हवा की स्थिति बनी रहने की संभावना है। न्यूनतम तापमान 11 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम तापमान 25-26 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने का अनुमान है। ऐसी मौसमी परिस्थितियां प्रदूषकों के फैलाव में सहायक नहीं होतीं, जिससे वायु गुणवत्ता के लगातार खराब रहने की आशंका है।