क्या देवास की 'माता टेकरी' पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ रहा है?

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क्या देवास की 'माता टेकरी' पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ रहा है?

सारांश

देवास में नवरात्रि का पर्व शुरू होते ही माता टेकरी मंदिर में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा है। भक्तजन सुबह से दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। जानिए इस पवित्र स्थान की विशेषताओं और यहां की मान्यताओं के बारे में।

Key Takeaways

  • नवरात्रि के दौरान माता टेकरी मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ होती है।
  • माता के तीन स्वरूपों में दर्शन का महत्व है।
  • स्थानीय मान्यता अनुसार, भक्तों की हर मन्नत पूरी होती है।

देवास, 22 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। शारदीय नवरात्रि का पावन पर्व सोमवार से आरंभ हो चुका है। मंदिरों में सुबह से ही भक्त दर्शन-पूजन के लिए पहुंच रहे हैं। मध्य प्रदेश के देवास जिले में स्थित माता टेकरी, मां तुलजा भवानी (बड़ी मां), और मां चामुंडा देवी (छोटी मां) मंदिर में भी सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ लगी हुई है।

पुजारी विनय नाथ ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि चामुंडा मंदिर अत्यंत प्राचीन है और यह लाखों भक्तों की आस्था का केंद्र बन चुका है। नवरात्रि के दौरान यहां लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। यहां प्रतिदिन भी हजारों लोग माता का दर्शन करते हैं, और माता का दर्शन करने के बाद भैरु बाबा का दर्शन करना अनिवार्य है।

पुजारी ने आगे बताया कि बड़ी मां और छोटी मां दो बहनें थीं। एक बार उनके बीच किसी बात को लेकर विवाद हो गया, जिसके परिणामस्वरूप दोनों ने अपने स्थान को छोड़ने का निर्णय लिया। बड़ी मां पाताल में समाने लगीं, जबकि छोटी मां टेकरी छोड़कर जाने लगीं।

उस समय हनुमान और भैरू बाबा ने देवी के क्रोध को देखकर उनसे रुकने की प्रार्थना की। हनुमान के आग्रह पर माताओं का क्रोध शांत हुआ। लेकिन तब तक बड़ी मां का आधा शरीर पाताल में समा चुका था। इसी स्थिति में वे टेकरी पर रुक गईं और आज भी इसी स्वरूप में यहां विराजमान हैं।

उन्होंने बताया कि मंदिर में माता के तीन स्वरूप देखने को मिलते हैं। सुबह मंगला आरती के समय माता बाल स्वरूप में दर्शन देती हैं, दोपहर में वयस्क अवस्था में और शाम को वृद्धा अवस्था में दर्शन देती हैं।

स्थानीय लोगों का मानना है कि ये मूर्तियां स्वयंभू और जागृत अवस्था में हैं। जो भक्त सच्चे मन से यहां मन्नत मांगता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है।

देवास से जुड़ी एक और मान्यता यह है कि यह पहला ऐसा शहर है, जहां दो राजाओं (छोटी पाती और बड़ी पाती) का शासन था। ये दोनों देवियां उनकी कुलदेवी थीं। आज भी, अष्टमी के दिन पवार राजवंश द्वारा यहां राज परिवार के रीति-रिवाजों के अनुसार पूजा की जाती है।

—राष्ट्र प्रेस

Point of View

बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यहाँ की मान्यताएँ और भक्तों की श्रद्धा इसे एक अद्वितीय स्थान बनाती हैं। नवरात्रि के समय इस प्रकार की भीड़ इस बात का प्रमाण है कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर जीवित है।
NationPress
22/09/2025

Frequently Asked Questions

माता टेकरी का मंदिर कब स्थापित हुआ था?
माता टेकरी का मंदिर बहुत प्राचीन है, लेकिन इसकी सही स्थापना तिथि ज्ञात नहीं है।
यहाँ कितने स्वरूपों में माता का दर्शन होता है?
यहाँ माता के तीन स्वरूपों का दर्शन होता है: बाल, वयस्क और वृद्धा।