क्या उपराष्ट्रपति धनखड़ ने अशोक गहलोत के दबाव वाले बयान का प्रभावी जवाब दिया?

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क्या उपराष्ट्रपति धनखड़ ने अशोक गहलोत के दबाव वाले बयान का प्रभावी जवाब दिया?

सारांश

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने अशोक गहलोत के दबाव वाले बयान का संज्ञान लिया और अपनी स्थिति को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि राजनीति का वर्तमान तापमान चिंताजनक है और राष्ट्रहित को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है।

Key Takeaways

  • धनखड़ ने स्पष्ट किया कि वे न दबाव में हैं, न किसी को दबाव में रखते हैं।
  • राजनीतिक वातावरण चिंताजनक है।
  • राष्ट्रीय भावना को दलगत राजनीति से ऊपर रखा जाना चाहिए।

जयपुर, 30 जून (राष्ट्र प्रेस)। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता अशोक गहलोत के ‘संवैधानिक पदों पर दबाव' संबंधी बयान पर स्पष्ट जवाब दिया। उन्होंने कहा कि मैं न तो दबाव में हूं, न दबाव देता हूं, न दबाव में काम करता हूं, और न ही दबाव में किसी से काम कराता हूं।

जयपुर में आयोजित ‘स्नेह मिलन समारोह’ के दौरान उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा, ''मुझे थोड़ी चिंता हुई, लेकिन मेरे स्वास्थ्य की नहीं, बल्कि मेरे मित्र पूर्व मुख्यमंत्री की, जिन्होंने कहा कि हम दबाव में हैं। राजस्थान की राजनीति में वह मेरे सबसे पुराने मित्र हैं और मेरे बड़े शुभचिंतक हैं। मैं सार्वजनिक रूप से कहता हूं कि उन्हें चिंतामुक्त होना चाहिए, क्योंकि मैं न दबाव में रहता हूं, न दबाव देता हूं, न दबाव में काम करता हूं, और न ही किसी से काम कराता हूं।''

वर्तमान राजनीतिक माहौल पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा, “आज के दिन राजनीति का जो वातावरण है, वह स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है। प्रजातंत्र के स्वास्थ्य के लिए यह चिंता का विषय है।” उन्होंने आगे कहा, “सत्ता पक्ष और प्रतिपक्ष का आना-जाना चलता रहता है, पर इसका मतलब यह नहीं कि दुश्मनी हो जाए। दुश्मन हमारे सीमापार हो सकते हैं, लेकिन देश में हमारा कोई दुश्मन नहीं हो सकता।”

राष्ट्रीय भावना को दलगत राजनीति से ऊपर बताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, “जब हम देश के बाहर जाते हैं, तो न पक्ष होता है, न प्रतिपक्ष, हमारे सामने भारतवर्ष होता है। यह कदम हमें दिखाता है कि राष्ट्र सर्वोपरि है, राष्ट्रहित हमारा धर्म है, भारतीयता हमारी पहचान है। जब भी भारत का मुद्दा उठेगा, हम विभाजित नहीं हैं।”

उन्होंने कहा, “राजनीति का तापमान अब असहनीय हो रहा है। हम बेलगाम होकर वक्तव्य जारी कर देते हैं। आज हमें यह देखना होगा कि भारत का मतलब दुनिया की एक-छठी आबादी यहां रहती है। 5,000 साल की संस्कृति किसके पास है? यह बेजोड़ है।”

उन्होंने आगे कहा, ''कई बार हम आवेश में आकर प्रश्न उठा देते हैं। जब चोट मुझे नहीं लगेगी तो मैं कहूंगा लड़ते रहो। यह बातें अखबार में पढ़ने की नहीं हैं। बड़ा कष्ट होता है और अर्थव्यवस्था पर गहरी चोट लगती है। आज भारत की स्थिति को देखें, यह कोई राजनीतिक विषय नहीं है।”

Point of View

NationPress
21/07/2025

Frequently Asked Questions

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने अशोक गहलोत के बयान पर क्या प्रतिक्रिया दी?
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि वे न दबाव में हैं, न दबाव देते हैं।
राजनीति के वर्तमान माहौल पर उनका क्या कहना है?
उन्होंने चिंता व्यक्त की कि वर्तमान राजनीतिक वातावरण स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है।