क्या आप दूध के साथ खट्टे फलों का सेवन करते हैं? सेहत बिगड़ सकती है!
सारांश
Key Takeaways
- दूध और खट्टे फलों का संयोजन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
- यह पाचन क्रिया को प्रभावित करता है।
- 2-3 घंटे का अंतर रखना चाहिए।
- बच्चों और बुजुर्गों के लिए अधिक हानिकारक।
- आयुर्वेद का ज्ञान महत्वपूर्ण है।
नई दिल्ली, 12 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। दूध को एक पौष्टिक आहार माना जाता है। लेकिन, गलत फूड कॉम्बिनेशन न केवल खाने का स्वाद बिगाड़ सकता है, बल्कि यह स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक हो सकता है। दूध के साथ खट्टे फलों का सेवन सेहत के लिए खतरनाक माना जाता है।
भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के निर्देशों के अनुसार, आयुर्वेद में भोजन के संयोजन पर विशेष ध्यान दिया जाता है। आयुर्वेद कहता है कि कुछ खाद्य पदार्थों को एक साथ खाने से पाचन प्रक्रिया खराब हो सकती है। ऐसा ही एक गलत कॉम्बिनेशन दूध और खट्टे फलों का है।
आपको बता दें, दूध की प्रकृति शीतल होती है, जबकि खट्टे फल जैसे संतरा, नींबू, मौसमी, अनानास और अमरूद अम्लीय होते हैं। इन दोनों का संयोजन शरीर में असंतुलन उत्पन्न करता है, जो कई स्वास्थ्य समस्याओं की वजह बन सकता है।
दूध प्रोटीन, कैल्शियम और वसा से भरपूर होता है। यह शरीर को ठंडक प्रदान करता है और पाचन के लिए भारी माना जाता है। वहीं, खट्टे फलों में विटामिन सी की भरपूर मात्रा होती है, लेकिन उनमें एसिड की मात्रा भी अधिक होती है। जब दूध और खट्टे फल पेट में एक साथ पहुंचते हैं, तो दूध का प्रोटीन (केसीन) अम्ल के साथ प्रतिक्रिया करता है। इससे दूध फट जाता है या जम जाता है, जिसे आयुर्वेद में 'विरुद्ध आहार' कहा जाता है।
यह पाचन अग्नि को कमजोर कर देता है। इससे पाचन तंत्र को मुख्य नुकसान होता है। पेट में गैस बनने लगती है, जो सूजन और दर्द का कारण बन सकती है। अपच की समस्या आम हो जाती है, जिसमें खाना ठीक से नहीं पचता और भारीपन महसूस होता है। कभी-कभी उल्टी, दस्त या कब्ज जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।
आयुर्वेद के अनुसार, यह दोषों (वात, पित्त, कफ) में असंतुलन पैदा करता है, खासकर पित्त दोष बढ़ता है, जो एसिडिटी और जलन का कारण बनता है। लंबे समय तक ऐसा करने से त्वचा पर मुंहासे, एलर्जी या चकत्ते निकल सकते हैं। इम्यून सिस्टम कमजोर पड़ सकता है।
बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह ज्यादा हानिकारक है। आयुर्वेदाचार्य सलाह देते हैं कि खट्टे फलों और दूध के बीच कम से कम 2-3 घंटे का अंतर रखा जाए। इससे पाचन स्वस्थ रहता है और शरीर में ऊर्जा बनी रहती है।