क्या एबीवीपी का 'डोर-टू-डोर' कैंपेन डूसू चुनाव को प्रभावित करेगा?

सारांश
Key Takeaways
- एबीवीपी का 'डोर-टू-डोर' कैंपेन छात्रों के बीच सीधा संवाद स्थापित करने का प्रयास है।
- यह अभियान छात्रों की समस्याओं को समझने और हल करने पर केंद्रित है।
- डूसू चुनाव में एबीवीपी की रणनीतियाँ महत्वपूर्ण हो सकती हैं।
नई दिल्ली, 6 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनाव की गतिविधियाँ तेज़ हो गई हैं। इस बीच, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने छात्रों तक सीधी पहुँच बनाने के लिए एक व्यापक अभियान की शुरुआत की है। शनिवार को, एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने दिल्ली के प्रमुख इलाकों में 'डोर-टू-डोर' कैंपेन चलाया।
मुखर्जी नगर, कमला नगर, मल्कागंज, सत्य निकेतन, नारायणा विहार, लक्ष्मी नगर और मालवीय नगर के पेइंग गेस्ट हाउस (पीजी) और छात्रावासों में यह अभियान चलाया गया।
इसी के साथ, एबीवीपी ने दिल्ली विश्वविद्यालय के साउथ कैंपस और नॉर्थ कैंपस में बड़े छात्र रैलियों की तैयारियों को भी तेज कर दिया है।
इस अभियान पर चर्चा करते हुए, एबीवीपी दिल्ली के प्रांत मंत्री सार्थक शर्मा ने कहा, "दिल्ली विश्वविद्यालय का हर छात्र हमारे लिए परिवार का हिस्सा है।"
उन्होंने आगे कहा, "पीजी और हॉस्टल में रह रहे छात्रों तक पहुँचकर उनकी समस्याओं को समझना और उनका समाधान निकालना हमारा मुख्य उद्देश्य है।"
सार्थक शर्मा ने यह भी कहा कि एबीवीपी हमेशा छात्रों के हितों की रक्षा करती रही है और आगे भी करती रहेगी। उनका मानना है कि उनका प्राथमिक उद्देश्य केवल छात्रों का हित है और इसी दिशा में उनके संभावित प्रत्याशी लगातार कार्य कर रहे हैं।
एबीवीपी ने इस अभियान के लिए 5 से 10 छात्र कार्यकर्ताओं के छोटे-छोटे समूह बनाए हैं, जिन्होंने दिल्ली के सैकड़ों पीजी में जाकर छात्रों से बातचीत की। इस दौरान, उन्होंने छात्रों की समस्याओं को सुना और उनके सुझावों को नोट किया।
एबीवीपी का कहना है कि वे इन सुझावों और समस्याओं के आधार पर अपना घोषणापत्र तैयार कर रहे हैं, जो पूरी तरह से छात्रों के केंद्रित होगा।
डूसू चुनाव को लेकर एबीवीपी के संभावित उम्मीदवार भी लगातार सक्रिय हैं। वे प्रतिदिन विभिन्न माध्यमों से विश्वविद्यालय के छात्रों से संवाद कर रहे हैं और उनके बीच अपनी बात रख रहे हैं।
डूसू चुनाव को दिल्ली की राजनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है।