क्या ईडी ने मोहाली के बिल्डर राजदीप शर्मा को मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार किया?

सारांश
Key Takeaways
- ईडी की कार्रवाई से मनी लॉन्ड्रिंग पर कड़ा संदेश भेजा गया है।
- 4,817 करोड़ रुपये का अवैध धन प्रेषण किया गया था।
- बिरफा आईटी मामले से जुड़े अन्य आरोपी भी गिरफ्तार हैं।
- यह मामला अंतरराष्ट्रीय हवाला नेटवर्क से जुड़ा है।
- जांच में कई भारतीय व्यापारी शामिल हैं।
नई दिल्ली, 22 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मोहाली के बिल्डर राजदीप शर्मा को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) 2002 के तहत गिरफ्तार किया है। यह कार्रवाई बिरफा आईटी मामले में की गई है।
ईडी के अनुसार, इस मामले में पहले से ही पांच अन्य आरोपियों (मणिदीप मागो, संजय सेठी, मयंक डांग, तुषार डांग और जसप्रीत सिंह बग्गा) को गिरफ्तार किया जा चुका है। राजदीप शर्मा को द्वारका की विशेष अदालत में पेश किया गया, जहां उन्हें 28 अगस्त तक 7 दिनों की ईडी हिरासत में भेज दिया गया है।
जांच में खुलासा हुआ है कि यह मामला 4,817 करोड़ रुपए के अवैध विदेशी धन प्रेषण से जुड़ा है, जो नकली और झूठे बिलों के जरिए किया गया था। ये पैसे चीन और हांगकांग से कम कीमत पर मंगाए गए सामान के बदले में फर्जी भुगतान के तौर पर भेजे गए थे।
जांच से पता चला कि तुषार डांग और मयंक डांग नाम के दो भाइयों ने एक सुनियोजित सिंडिकेट बनाया था, जिसमें कई भारतीय आयातक और व्यापारी, नकद पैसे संभालने वाले लोग, अंतरराष्ट्रीय हवाला एजेंट, स्थानीय कंपनियां, चीन के कई सप्लायर और निर्माता शामिल थे।
जांच में यह भी सामने आया कि डांग बंधुओं द्वारा आयातित सामान की कीमत को काफी कम दर्शाया गया था और मुआवजा भुगतान मणिदीप मागो और संजय सेठी के माध्यम से विदेश भेजा गया। उन्होंने फर्जी बिल बनाकर ये पैसे भेजे, लेकिन जांच में पता चला कि ऐसी कोई सेवा दी ही नहीं गई।
ईडी की जांच में यह भी पता चला कि आरोपी राजदीप शर्मा का तुषार डांग के साथ हवाला के जरिए नियमित रूप से नकद लेन-देन होता था। राजदीप शर्मा ने नकद लेन-देन और तुषार डांग द्वारा सामान की कम कीमत दिखाने की जानकारी होने की बात स्वीकार की।
फिलहाल इस मामले में आगे की जांच जारी है।