क्या श्यामा प्रसाद मुखर्जी 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' के स्वप्न दृष्टा थे?

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क्या श्यामा प्रसाद मुखर्जी 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' के स्वप्न दृष्टा थे?

सारांश

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर उनके योगदानों को याद किया। उन्होंने अखंड भारत के लिए उनके बलिदान का उल्लेख किया और बताया कि कैसे उनकी विचारधारा आज भी हमारे देश को प्रेरित करती है।

Key Takeaways

  • डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का बलिदान ऐतिहासिक महत्व रखता है।
  • उन्होंने 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' का सपना देखा।
  • उनका योगदान भारतीय राजनीति में अविस्मरणीय है।

लखनऊ, 23 जून (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के ‘बलिदान दिवस’ पर कहा कि उन्होंने 23 जून 1953 को अखंड भारत के लिए अपना बलिदान दिया था। वह एक महान शिक्षाविद, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के स्वप्न दृष्टा थे। उन्होंने स्वतंत्र भारत में कैबिनेट मंत्री के रूप में देश को अपने विज़नरी नेतृत्व से लाभान्वित करके देश की औद्योगिक नीति को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

सीएम ने कहा कि डॉ. मुखर्जी ने पंडित नेहरू के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा राष्ट्रीय एकता और अखंडता के साथ हो रहे खिलवाड़ को देख कर इस्तीफा दे दिया था। भारतीय जनसंघ के पहले अध्यक्ष के तौर पर उन्होंने देश में एक नई राजनीतिक शुरुआत को आगे बढ़ाया। इस मौके पर सीएम ने उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।

योगी आदित्यनाथ ने आगे कहा कि तत्कालीन सरकार ने वर्ष 1952 में पहले आम चुनाव के बाद देश के संविधान में धारा 370 को लागू करके राष्ट्रीय एकता को चुनौती दी। साथ ही, कश्मीर में परमिट सिस्टम लागू किया गया। सरकार के कुछ सदस्यों ने ही देश की सुरक्षा और राष्ट्रीय एकता को चुनौती दी। इस पर डॉ. मुखर्जी ने ‘एक देश, एक प्रधान, एक विधान और एक निशान’ का उद्घोष करते हुए कश्मीर में प्रवेश किया, जहां उन्हें गिरफ्तार किया गया। बाद में जम्मू कश्मीर की जेल में 23 जून 1953 को उन्होंने बलिदान दिया।

सीएम ने कहा कि डॉ. मुखर्जी ने 1953 में जो ‘एक भारत, अखंड भारत और सुरक्षित भारत’ का सपना देखा था, उसे साकार होने में 65 से 66 वर्ष लगे जब प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में 5 अगस्त 2019 को कश्मीर में धारा 370 समाप्त हुई।

उन्होंने यह भी कहा कि आज जम्मू-कश्मीर लोकतांत्रिक मूल्यों और आदर्शों के साथ भारत के संविधान की भावना के अनुरूप ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की परिकल्पनाओं को साकार कर रहा है। कश्मीर में धारा 370 का हटना डॉ. मुखर्जी के प्रति प्रधानमंत्री मोदी और भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार की कृतज्ञता है।

इस अवसर पर सीएम योगी के साथ उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, महापौर सुषमा खर्कवाल, मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, सूर्य प्रताप शाही समेत कई नेता उपस्थित रहे।

Point of View

बल्कि उन्होंने देश के लिए एक समावेशी और अखंड भारत की परिकल्पना की। यह आवश्यक है कि हम उनके योगदानों को पहचानें और उन्हें आगे बढ़ाएं।
NationPress
23/06/2025

Frequently Asked Questions

श्यामा प्रसाद मुखर्जी का बलिदान दिवस कब मनाया जाता है?
श्यामा प्रसाद मुखर्जी का बलिदान दिवस हर साल 23 जून को मनाया जाता है।
श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने किस विचारधारा को प्रोत्साहित किया?
उन्होंने 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' की विचारधारा को प्रोत्साहित किया।
डॉ. मुखर्जी ने किस वर्ष में बलिदान दिया?
डॉ. मुखर्जी ने 23 जून 1953 को बलिदान दिया।