क्या फिजी के प्रधानमंत्री की भारत यात्रा से द्विपक्षीय संबंध मजबूत होंगे?

सारांश
Key Takeaways
- फिजी के प्रधानमंत्री का पहला भारत दौरा।
- द्विपक्षीय वार्ता और भोज का आयोजन।
- हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग पर चर्चा।
- भारत और फिजी के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध।
नई दिल्ली, 21 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। फिजी गणराज्य के प्रधानमंत्री सितिवेनी लिगामामाडा राबुका 24 से 26 अगस्त 2025 तक भारत की आधिकारिक यात्रा पर आ रहे हैं। उनके साथ उनकी पत्नी सुलेटी राबुका भी होंगी। इस उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल में फिजी के स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सेवा मंत्री रतु एटोनियो लालाबालावु और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल होंगे।
यह प्रधानमंत्री राबुका का वर्तमान कार्यकाल में भारत का पहला दौरा होगा। 25 अगस्त को वे नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। इस विशेष अवसर पर, प्रधानमंत्री मोदी फिजी के प्रधानमंत्री के सम्मान में एक विशेष भोज का आयोजन भी करेंगे। इसके अलावा, प्रधानमंत्री राबुका नई दिल्ली में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से भी शिष्टाचार भेंट करेंगे। राष्ट्रपति मुर्मू ने अगस्त 2024 में फिजी की ऐतिहासिक यात्रा की थी।
प्रधानमंत्री राबुका अपने दौरे के दौरान भारतीय विश्व मामलों की परिषद (आईसीडब्ल्यूए) में 'ओशन ऑफ पीस' विषय पर व्याख्यान देने वाले हैं। इस कार्यक्रम में भारत और फिजी के बीच हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग, समुद्री सुरक्षा और सतत विकास जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है।
भारत और फिजी के बीच लंबे समय से घनिष्ठ और मैत्रीपूर्ण संबंध हैं। दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक सांस्कृतिक जुड़ाव, प्रवासी भारतीय समुदाय और आपसी सहयोग इन रिश्तों को और मजबूत बनाते हैं। प्रधानमंत्री राबुका की यात्रा द्विपक्षीय संबंधों को सभी क्षेत्रों में और सुदृढ़ करने तथा लोगों के बीच संबंधों को गहरा करने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
गौरतलब है कि फिजी के प्रधानमंत्री सितिवेनी राबुका ने पहले भी पीएम मोदी की तारीफ करते हुए उन्हें दुनिया का 'बॉस' बताया था। जनवरी 2025 में फिजी में एक बैठक में, राबुका ने कहा था कि पीएम मोदी दुनिया के 'बॉस' हैं।
उन्होंने कहा था, "मेरा मानना है कि सबका साथ, सबका विकास एक बेहतरीन शासन मॉडल है, जिसका पालन प्रधानमंत्री मोदी कर रहे हैं, जो यह सुनिश्चित करता है कि सभी एक साथ आगे बढ़ें और समृद्ध हों। मेरी राय में, इसे वैश्विक स्तर पर लागू किया जाना चाहिए।"