क्या आयुर्वेदिक नुस्खे गले में सूजन और खराश से राहत दिला सकते हैं?
सारांश
Key Takeaways
- आयुर्वेदिक उपाय गले की समस्याओं को कम करने में मदद करते हैं।
- हींग और शहद का उपयोग करें।
- गुनगुने पानी में हल्दी मिलाकर गरारा फायदेमंद है।
- सर्दियों में कफ का संचय बढ़ता है।
- सामान्य लक्षणों के लिए घरेलू नुस्खे अपनाएं।
नई दिल्ली, 13 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। जैसे ही मौसम में बदलाव आता है, गले में सूजन और खराश की समस्या आम हो जाती है। यह शुष्क हवा, हीटर का अधिक उपयोग, ठंडी हवा में सांस लेना, प्रदूषण, और अनियमित खान-पान जैसे कई कारणों से होती है।
आयुर्वेद के अनुसार, इस मौसम में कफ दोष का संचय बढ़ता है, जिससे गले में जलन और सूजन होती है। विशेषज्ञों का कहना है कि घरेलू उपाय कफ को संतुलित करके गले को राहत देते हैं। सर्दियों में हवा शुष्क हो जाती है, जिससे गले की म्यूकस लेयर सूख जाती है और वायरस का प्रवेश आसान हो जाता है। हीटर के सामने बैठना गले को और शुष्क करता है, जबकि सुबह ठंडी हवा और ठंडे-गर्म पेय का मिश्रण सूजन को बढ़ाता है।
आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के अनुसार, ऐसे उपाय प्रभावी हैं जो कफ को निकालकर गले को नमी और गर्माहट प्रदान करते हैं। इनमें हींग-शहद का लेप शामिल है। हींग के एंटीवायरल गुण कफ को ढीला कर जलन कम करते हैं। मिश्री-सौंफ-काली मुनक्का को उबालकर काढ़ा बनाना और इसे पीने से गला नम रहता है, जिससे सूजन कम होती है। गुनगुने पानी में हल्दी और कुचली लौंग मिलाकर गरारा करना भी फायदेमंद होता है। हल्दी में करक्यूमिन होता है, जो सूजन को कम करता है, जबकि लौंग दर्द में राहत देती है।
अदरक और गुड़ को गर्म कर उसकी भाप लेना कफ को ढीला करता है और खराश में तुरंत राहत मिलती है। नींबू के छिलके गर्म करके गर्दन पर रखना भी लाभकारी है। इसके लिमोनीन से गला मॉइस्चराइज होता है। तुलसी का चूर्ण शहद में मिलाकर लेना भी फायदेमंद होता है। तुलसी के एंटीसेप्टिक गुण वायरस को रोकते हैं। इसके अतिरिक्त, गुनगुना तिल का तेल नाक में 2-2 बूंद डालने से गले की सूखापन दूर होता है।
ये उपाय न केवल लक्षणों को कम करते हैं, बल्कि कफ असंतुलन की समस्या को भी हल करते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, इन देसी नुस्खों को मौसम के अनुसार अपनाना चाहिए। गंभीर मामलों में डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें।