क्या मोहम्मद जिन्ना और राहुल गांधी की सोच में कोई समानता है? : गौरव भाटिया

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क्या मोहम्मद जिन्ना और राहुल गांधी की सोच में कोई समानता है? : गौरव भाटिया

सारांश

भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने राहुल गांधी और जिन्ना की समानता को उजागर किया है। उन्होंने एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों में बदलाव पर कांग्रेस की निंदा की और विभाजन के मुद्दे पर गंभीर सवाल उठाए। क्या यह समानता सच में है?

Key Takeaways

  • गौरव भाटिया का बयान राहुल गांधी और जिन्ना की समानता पर आधारित है।
  • एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों में विभाजन से संबंधित बदलाव हुए हैं।
  • भाजपा संविधान के आधार पर शासन में विश्वास करती है।
  • विभाजन के लिए जिम्मेदारियों का सवाल उठाया गया है।
  • पीएम मोदी की योजनाओं की सराहना की गई है।

नई दिल्ली, 16 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया ने एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों में भारत के विभाजन से जुड़े परिवर्तनों पर लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी की कड़ी निंदा की। भाटिया ने राहुल गांधी की विचारधारा की तुलना पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना से करते हुए कहा कि दोनों की सोच समान है और वे एक-दूसरे के पर्याय बन गए हैं।

शनिवार को मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों में हाल के परिवर्तनों, विशेष रूप से भारत के विभाजन पर एक नए मॉड्यूल के शामिल होने की बात उठाई। उन्होंने कहा कि इस मॉड्यूल में विभाजन की जिम्मेदारी तीन पक्षों, मोहम्मद अली जिन्ना, कांग्रेस और लॉर्ड माउंटबेटन, पर डाली गई है। इस सच्चाई के उजागर होने पर सबसे पहले दर्द राहुल गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस पार्टी को हुआ है। 'जिन्ना' और राहुल, दोनों की सोच एक जैसी है, दोनों एक-दूसरे के पर्याय बन गए हैं।

उन्होंने कहा कि हम सभी जानते हैं कि 'अखंड भारत' का बंटवारा धर्म के आधार पर हुआ, जिसकी जड़ में मोहम्मद अली जिन्ना की विषाक्त सोच थी, और कांग्रेस, विशेष रूप से राहुल गांधी, उसी तुष्टिकरण और सांप्रदायिकता की नीति को अपनाते हैं।

भाटिया ने कहा कि जिन्ना धर्म के आधार पर आरक्षण और शरिया कानून की वकालत करते थे और कांग्रेस भी इसी दिशा में देश को चलाने में विश्वास रखती है, जबकि भाजपा संविधान के आधार पर शासन में विश्वास करती है।

उन्होंने यह भी पूछा कि विभाजन के लिए कौन जिम्मेदार था और क्या किसी राजनीतिक दल की महत्वाकांक्षा राष्ट्रीय हितों पर भारी पड़ी?

उन्होंने कहा कि जब एनसीईआरटी की किताबों में विभाजन की सच्चाई लिखी होती है, तो कांग्रेस पार्टी ध्यान भटकाने की कोशिश करती है। लेकिन, उनसे जरूर पूछा जाएगा, इधर-उधर की बातें मत करो, हमें बताओ कि विभाजन क्यों हुआ? हमें बताओ कि यह फैसला किसने लिया था, वह कौन सी पार्टी थी, वे कौन से नेता थे, जिन्होंने तय किया कि विभाजन होगा?

भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि पीएम मोदी ने लाल किले से स्वतंत्रता दिवस के अपने भाषण में आरएसएस की प्रशंसा की, जिससे देश के करोड़ों लोग गर्व महसूस कर रहे हैं। राहुल गांधी को इतिहास पढ़ना चाहिए, क्योंकि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 1963 की गणतंत्र दिवस परेड में आरएसएस को आमंत्रित किया था।

उन्होंने दावा किया कि भारत-चीन युद्ध में आरएसएस ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जबकि कांग्रेस ने गद्दारी की। भाटिया ने यह भी कहा कि आरएसएस भारत की विरासत को मजबूत करता है। उस पर सवाल उठाने वाले कांग्रेस के आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है। अनुच्छेद 370 को हटाना, जीएसटी लागू करना, राम मंदिर का निर्माण, और युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा करना, सभी मोदी सरकार की उपलब्धियां हैं।

उन्होंने कहा कि जब भी पीएम मोदी कोई वचन देते हैं, तो उसे पूरा करते हैं। उनकी 'विकसित भारत योजना' की युवाओं ने सराहना की है। इन उपलब्धियों से राहुल गांधी को दर्द होता है।

Point of View

यह महत्वपूर्ण है कि हम इस विषय पर एक निष्पक्ष दृष्टिकोण रखें। गौरव भाटिया का बयान राहुल गांधी और जिन्ना की विचारधारा पर प्रकाश डालता है। हमें यह समझना चाहिए कि इतिहास और वर्तमान राजनीतिक परिप्रेक्ष्य को ध्यान में रखते हुए, विश्लेषण करना आवश्यक है। यह मुद्दा समाज में विभाजन और एकता के संदर्भ में भी महत्वपूर्ण है।
NationPress
16/08/2025

Frequently Asked Questions

गौरव भाटिया ने राहुल गांधी की सोच का जिन्ना से क्या संबंध बताया?
गौरव भाटिया ने कहा कि राहुल गांधी और जिन्ना की सोच समान है और दोनों एक-दूसरे के पर्याय बन गए हैं।
एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों में क्या बदलाव हुए हैं?
एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों में भारत के विभाजन से संबंधित एक नया मॉड्यूल शामिल किया गया है, जिसमें विभाजन की जिम्मेदारी जिन्ना, कांग्रेस और माउंटबेटन पर डाली गई है।
क्या भाजपा संविधान के आधार पर शासन करती है?
भाजपा संविधान के आधार पर शासन करने में विश्वास करती है, जबकि कांग्रेस तुष्टिकरण की नीति अपनाती है।