क्या सीनेट चुनावों की घोषणा करने में सुखबीर सिंह बादल को मिली ऐतिहासिक जीत?
सारांश
Key Takeaways
- पंजाब विश्वविद्यालय में सीनेट चुनावों का कार्यक्रम फाइनल हुआ।
- सुखबीर सिंह बादल ने छात्रों का समर्थन किया।
- छात्रों ने लंबे समय तक संघर्ष किया।
- उपराष्ट्रपति ने चुनाव की मंजूरी दी।
- सीनेट का कार्यकाल 5 साल है।
चंडीगढ़, 27 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। पंजाब विश्वविद्यालय में सीनेट चुनाव का कार्यक्रम अब अंतिम रूप से तैयार हो चुका है। यूनिवर्सिटी के चांसलर और उपराष्ट्रपति के कार्यालय ने चुनाव की तिथियों को स्वीकृति दे दी है और साथ ही नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है। इस महत्वपूर्ण निर्णय पर शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने खुशी व्यक्त की।
सुखबीर सिंह बादल ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर लिखा है कि मैं पंजाब विश्वविद्यालय के सभी छात्रों, कर्मचारियों और पूर्व छात्रों को भारत सरकार द्वारा सीनेट चुनावों की घोषणा करने में मिली ऐतिहासिक जीत पर बधाई देता हूं। यह जीत छात्रों द्वारा शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक संघर्ष के माध्यम से प्रदर्शित एकता की शक्ति से संभव हुई है।
उन्होंने आगे कहा, "मैं इस न्यायोचित और सम्मानजनक उद्देश्य के सभी शुभचिंतकों और समर्थकों को भी बधाई देता हूं। आज पूरा पंजाब अपने युवाओं, विशेष रूप से अपने छात्रों पर गर्वित है। मैं इस संघर्ष में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले भारतीय छात्र संगठन (एसओआई) की पूरी टीम को धन्यवाद और हार्दिक बधाई देता हूं।"
यह उल्लेखनीय है कि पंजाब विश्वविद्यालय के सीनेट का कार्यकाल 5 साल का होता है और पिछली सीनेट का कार्यकाल 31 अक्टूबर 2024 को समाप्त होने वाला था। लेकिन नई सीनेट के चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने पुरानी सीनेट को भंग कर दिया था, जिसके कारण चुनाव रुक गए थे।
पंजाब विश्वविद्यालय के छात्रों और संगठनों ने इस पर लगातार दबाव बनाए रखा। पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ बचाओ मोर्चा पिछले 25 दिनों से यूनिवर्सिटी में धरना दे रहा था। इस दौरान कई संगठन और छात्र-युवक प्रदर्शन कर रहे थे। आंदोलनकारियों ने चेतावनी दी थी कि यदि चुनाव की तिथि घोषित नहीं हुई, तो 3 दिसंबर को पंजाब के सभी भाजपा दफ्तरों का घेराव किया जाएगा। घेराव से पहले ही उपराष्ट्रपति ने चुनाव संपन्न कराने की स्वीकृति दे दी।
गुरुवार को जारी नोटिफिकेशन में सचिव सरिता चौहान ने जानकारी दी कि चुनाव उसी शेड्यूल के अनुसार होंगे, जो पहले यूनिवर्सिटी द्वारा प्रस्तुत किया गया था। 9 नवंबर को जो शेड्यूल भेजा गया था, उसे भारत के उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन और पंजाब विश्वविद्यालय के चांसलर ने स्वीकृति दी है।