क्या कमर, गर्दन और कंधों के दर्द से परेशान हैं? मार्जरी-बिटिलासन है समाधान
सारांश
Key Takeaways
- मार्जरी-बिटिलासन दर्द से राहत दिलाने में सहायक है।
- यह आसन रीढ़ की लचीलापन बढ़ाता है।
- सामान्य तनाव और चिंता को कम करता है।
- यह पाचन में सुधार लाता है।
- सिरदर्द और अन्य समस्याओं में भी राहत मिलती है।
नई दिल्ली, 27 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। अगर आप कमर, गर्दन और कंधों के दर्द से जूझ रहे हैं, तो योग का मार्जरी-बिटिलासन इस समस्या का प्रभावशाली उपाय है। यह आसन न केवल सरल है, बल्कि इसके लाभ भी बहुत हैं।
लंबे समय तक कुर्सी पर बैठना, गलत पोश्चर और सर्दियों की ठंड के कारण कमर, गर्दन और कंधों में दर्द होना आम है। थोड़ी सी लापरवाही से ये समस्याएं बढ़ सकती हैं। मोरारजी देसाई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ योगा के अनुसार, शारीरिक या मानसिक हर समस्या का समाधान योगासन में है।
विशेषज्ञों का कहना है कि रोजाना कुछ मिनट मार्जरी-बिटिलासन (जिसे कैट काउ पोज भी कहा जाता है) करने से दर्द में राहत मिलती है। मार्जरी-बिटिलासन वास्तव में दो आसनों का संगम है: पहला मार्जरी आसन (बिल्ली की मुद्रा) और दूसरा बिटिलासन (गाय की मुद्रा)। इस आसन में रीढ़ की हड्डी को लहर की तरह हिलाया जाता है, जिससे सम्पूर्ण स्पाइन को लचीला और मजबूत बनाया जा सकता है।
इस आसन के अभ्यास का तरीका बहुत सरल है। सबसे पहले वज्रासन मुद्रा में बैठें। फिर घुटनों के बल टेबल टॉप पोजीशन में आ जाएं। दोनों हथेलियों को जमीन पर रखें, गहरी सांस लें और पीठ को नीचे की ओर झुकाएं, साथ ही सिर और गर्दन को ऊपर उठाएं। इसके बाद सांस छोड़ें और पीठ को ऊपर की ओर उठाएं। इस प्रक्रिया को धीरे-धीरे 5 से 10 बार दोहराएं।
रोजाना मार्जरी-बिटिलासन करने से कमर का निचला दर्द (लंबर पेन) और सायटिका में राहत मिलती है। गर्दन और कंधों की जकड़न समाप्त होती है, सर्वाइकल पेन में आराम मिलता है। यह आसन रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है, स्पॉन्डिलाइटिस में भी लाभकारी है। इसके अतिरिक्त, यह पेट की चर्बी कम करता है और पाचन में सुधार करता है। तनाव और चिड़चिड़ापन घटता है और नींद में सुधार होता है। इससे फेफड़े भी पूरी तरह से खुलते हैं।
योग विशेषज्ञों का कहना है कि यह आसन करने से शरीर सक्रिय और दर्द-मुक्त हो जाता है। हालांकि, किसी भी प्रकार के ज्वाइंट पेन से पीड़ित व्यक्तियों को विशेषज्ञ की सलाह पर ही इसका अभ्यास करना चाहिए।