क्या ओडिशा विधानसभा में राष्ट्रपति मुर्मू का संबोधन नवीन पटनायक के लिए गर्व का क्षण था?

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क्या ओडिशा विधानसभा में राष्ट्रपति मुर्मू का संबोधन नवीन पटनायक के लिए गर्व का क्षण था?

Key Takeaways

  • राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का संबोधन ओडिशा के लिए गर्व का क्षण है।
  • 2036 में ओडिशा के गठन की सौवीं सालगिरह मनाई जाएगी।
  • ओडिशा ने कई क्षेत्रों में अद्वितीय उपलब्धियां हासिल की हैं।
  • राष्ट्रपति ने प्रतिनिधियों से लोगों की उम्मीदों को पूरा करने की अपील की।
  • ओडिशा की राजनीतिक चुनौतियाँ और उपलब्धियाँ महत्वपूर्ण हैं।

नई दिल्‍ली, 27 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को अपने गृह राज्‍य ओडिशा का दौरा किया। इस अवसर पर उन्‍होंने ओडिशा विधानसभा को संबोधित किया। विपक्ष के नेता नवीन पटनायक ने राष्ट्रपति का स्वागत करते हुए कहा कि हम सभी को गर्व है कि इस धरती की बेटी आज देश की राष्ट्रपति हैं।

राष्ट्रपति ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्‍स पर जानकारी देते हुए कहा कि ओडिशा के गठन की सौवीं सालगिरह 2036 में मनाई जाएगी। यदि सभी स्टेकहोल्डर्स मिलकर 2036 तक एक खुशहाल ओडिशा बना सकें, तो यह 2047 तक भारत को एक विकसित देश बनाने में ओडिशा का सबसे बड़ा योगदान होगा।

उन्होंने कहा कि ओडिशा के लोग अपने प्रतिनिधियों से बहुत उम्मीदें रखते हैं। सभी एमएलए का यह कर्तव्य है कि वे इन उम्मीदों को पूरा करें और लोगों के चेहरों पर मुस्कान लाएं।

विपक्ष के नेता नवीन पटनायक ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्‍स पर एक पोस्ट में लिखा, 'ओडिशा और यहां के लोगों के लिए यह बहुत सम्मान की बात है कि हमारे राज्य से आने वाले भारत के राष्ट्रपति ने ओडिशा विधानसभा को संबोधित किया। हम सभी को गर्व है कि इस धरती की बेटी देश की राष्ट्रपति है। यह गर्व की बात है कि उन्होंने 25 साल पहले इसी विधानसभा से अपना राजनीतिक करियर शुरू किया और अब राष्ट्रपति बनकर इस धरती का गौरव बढ़ाया है।'

उन्होंने आगे कहा कि अलग-अलग भाषाओं, जीवनशैली, रीति-रिवाजों और विचारों ने भारतीय राजनीति को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आजादी के बाद रियासतों का विलय एक बड़ी राजनीतिक चुनौती थी। भारत की रियासतों का सबसे पहला विलय ओडिशा में हुआ, जिसमें 14 नवंबर 1947 को नीलगिरी और अन्य रियासतें शामिल हुईं। इस प्रकार ओडिशा ने भारतीय राष्ट्र को एकजुट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

इस अवसर पर उत्कल गौरव मधुसूदन दास के योगदान को याद करना उचित है, जिन्होंने भारत में पहली बार भाषा के आधार पर ओडिशा को एक अलग प्रांत बनाया। उन्होंने अन्य राजनेताओं के साथ मिलकर संवैधानिक तरीकों को अपनाकर यह ऐतिहासिक लक्ष्‍य हासिल किया। राष्ट्रपति के रूप में आप भारत के संविधान को ‘प्रिजर्व, प्रोटेक्ट और डिफेंड’ करती हैं, जिसकी 75वीं सालगिरह हाल ही में मनाई गई। पूरा देश आपकी तरफ देखता है कि आप भारत की आत्मा को बचाने के लिए प्रेरणा और मार्गदर्शन दें।

उन्होंने पोस्ट में आगे लिखा, 'जैसा कि आप जानते हैं, ओडिशा ने पिछले कुछ दशकों में कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण काम किए हैं। आपदा प्रबंधन, खाद्य सुरक्षा, महिला सशक्तिकरण, गरीबी हटाने, इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव और औद्योगिक विकास का माहौल बनाने में, ओडिशा वास्तव में एक प्रेरणादायक कहानी है। इतनी प्रगति का सारा श्रेय ओडिशा के लोगों के निरंतर सहयोग और समर्थन के कारण संभव हो सका है।

Point of View

बल्कि यह राज्य की प्रमुख चुनौतियों और उपलब्धियों को भी उजागर करता है। यह महत्वपूर्ण है कि सभी प्रतिनिधि जनता की उम्मीदों पर खरे उतरें और राज्य को विकसित करने के लिए एकजुट होकर काम करें।
NationPress
27/11/2025

Frequently Asked Questions

राष्ट्रपति मुर्मू ने ओडिशा विधानसभा में क्या कहा?
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि ओडिशा के गठन की सौवीं सालगिरह 2036 में मनाई जाएगी और सभी स्टेकहोल्डर्स को एक खुशहाल ओडिशा बनाने के लिए मिलकर काम करना चाहिए।
नवीन पटनायक ने राष्ट्रपति मुर्मू के संबोधन पर क्या प्रतिक्रिया दी?
नवीन पटनायक ने कहा कि यह ओडिशा के लिए गर्व की बात है कि हमारे राज्य से आने वाली राष्ट्रपति ने विधानसभा को संबोधित किया।
ओडिशा की राजनीतिक चुनौतियाँ क्या हैं?
ओडिशा की राजनीतिक चुनौतियों में विकास, महिला सशक्तिकरण, और आपदा प्रबंधन शामिल हैं।
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