क्या गया जिलाधिकारी ने पवन खेड़ा के मतदाता सूची के आरोपों का खंडन किया?

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क्या गया जिलाधिकारी ने पवन खेड़ा के मतदाता सूची के आरोपों का खंडन किया?

सारांश

गया के जिलाधिकारी ने पवन खेड़ा के आरोपों का खंडन करते हुए मतदाता सूची जारी की, जिसमें वोटिंग के संबंध में सभी जानकारी शामिल है। क्या यह बिहार में मतदान प्रक्रिया पर उठे सवालों का समाधान करेगा?

Key Takeaways

  • मतदाता सूची में संशोधन के लिए प्रशासनिक कार्रवाई आवश्यक है।
  • भ्रांतियों को दूर करने के लिए उचित जानकारी का प्रसार जरूरी है।
  • मतदान प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखना आवश्यक है।
  • सामाजिक मीडिया का प्रभाव चुनावी राजनीति में बढ़ रहा है।
  • महिलाओं के मताधिकार की सुरक्षा पर ध्यान देना आवश्यक है।

पटना, 22 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा द्वारा उठाए गए आरोपों के बाद, गया के जिलाधिकारी ने उन मतदाताओं की एक सूची जारी की है, जिनके वोट काटने का दावा किया गया था। इस सूची में मतदान केंद्र का नंबर और वोटरों का सीरियल नंबर भी शामिल है।

गया के जिलाधिकारी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर विवरण साझा करते हुए लिखा, "21 अगस्त को 228 बाराचट्टी के निर्वाचक निबंधन पदाधिकारी प्रियंका कौशिक और सहायक निर्वाचन निबंधन पदाधिकारी अजीत कुमार ने मीडिया से प्राप्त वीडियो फुटेज का ग्राम नोडिया में स्थलीय निरीक्षण किया। मतदाता का नाम ड्राफ्ट रोल से मिलाया गया, जिसमें मिथिलेश कुमार पिता बच्चू यादव का नाम मतदान केंद्र संख्या 27 के सीरियल नंबर 18 पर पाया गया। बबीता कुमारी पति नीरज कुमार का नाम मतदान केंद्र संख्या 26 के सीरियल नंबर 76 पर पाया गया। नीरज कुमार पिता बालक यादव का नाम मतदान केंद्र संख्या 26 के सीरियल नंबर 77 पर पाया गया।"

जिलाधिकारी ने आगे कहा, "मतदाताओं के बीच फैली भ्रांतियों को दूर किया गया। उन्हें यह भी बताया गया कि राशन कार्ड और मतदान के बीच कोई संबंध नहीं है। एएसडी सूची के 61 नामों को पढ़कर सुनाया गया, और आपत्ति की मांग की गई। अब तक कोई आपत्ति नहीं आई है।"

इससे पहले, कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा था कि भाजपा ने बिहार की महिलाओं के खिलाफ अघोषित युद्ध छेड़ दिया है और चुनाव आयोग भी इसमें शामिल है।

पवन खेड़ा ने एक वीडियो साझा करते हुए लिखा, "बिहार के गया जिले में, दर्जनों महिलाओं ने गवाही दी है कि एसआईआर के तहत वैध दस्तावेज जमा करने के बावजूद उन्हें मताधिकार से वंचित कर दिया गया है। अब उन्हें अपने माता-पिता के दस्तावेज दिखाने के लिए मजबूर किया जा रहा है, जिनमें से कई का निधन हो चुका है, या वे दूर, कभी-कभी सीमा पार झारखंड में रहते हैं।"

Point of View

जहां मतदाता सूची में अनियमितताओं के आरोप लगाए गए हैं। एक लोकतांत्रिक देश में, यह आवश्यक है कि मतदान प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाए रखा जाए। प्रशासन को ऐसे आरोपों पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और मतदाताओं के अधिकारों का सम्मान करना चाहिए।
NationPress
23/08/2025

Frequently Asked Questions

पवन खेड़ा ने कौन से आरोप लगाए थे?
पवन खेड़ा ने आरोप लगाया था कि भाजपा ने बिहार की महिलाओं के खिलाफ अघोषित युद्ध छेड़ दिया है और चुनाव आयोग भी इसमें शामिल है।
गया के जिलाधिकारी ने क्या कदम उठाए हैं?
गया के जिलाधिकारी ने उन मतदाताओं की सूची जारी की है, जिनके वोट काटे जाने का दावा किया गया था, और भ्रांतियों को दूर किया है।
क्या यह विवाद बिहार की राजनीति को प्रभावित करेगा?
यह विवाद बिहार की राजनीतिक स्थिति को प्रभावित कर सकता है, विशेष रूप से आगामी चुनावों के संदर्भ में।