क्या गिरिडीह में जल संकट ने लोगों का धैर्य तोड़ा?
सारांश
Key Takeaways
- जल संकट की गंभीरता को समझें।
- स्थानीय लोगों की आवाज को सुनें।
- समस्या के दीर्घकालिक समाधान की आवश्यकता है।
- प्रशासन की जिम्मेदारी को समझें।
- सामुदायिक सहयोग के महत्व को पहचानें।
गिरिडीह, 3 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड के गिरिडीह नगर निगम क्षेत्र के कई मोहल्लों में जल संकट से परेशान स्थानीय निवासियों का धैर्य बुधवार को समाप्त हो गया। लगभग छह महीने से पानी की कमी से जूझ रहे महिलाएं, पुरुष और बुजुर्ग निगम कार्यालय के समक्ष एकत्र होकर विरोध प्रदर्शन करने लगे। प्रदर्शनकारियों ने खाली बाल्टियां, टब और बर्तन बजाकर नगर निगम के खिलाफ अपनी नाराजगी व्यक्त की और तत्काल समाधान की अपील की।
प्रदर्शन में सम्मिलित लोगों ने शिकायत की कि वार्ड नंबर 20 और 28 के कई मोहल्लों में लंबे समय से पेयजल का गंभीर संकट है। कई बार शिकायतें करने के बावजूद नगर निगम ने कोई कार्रवाई नहीं की। उन्होंने कहा कि पानी की अनुपलब्धता से उनके दैनिक जीवन की गतिविधियां बाधित हो गई हैं। खाना पकाना, सफाई, स्नान और पीने के लिए पानी जुटाना अत्यंत कठिन हो गया है। कई परिवारों को मजबूरन पानी खरीदने की आवश्यकता पड़ रही है।
सामूहिक प्रदर्शन के दौरान लोगों ने आरोप लगाया कि नगर निगम केवल आश्वासन देकर अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ लेता है, जबकि वास्तविकता में स्थिति जस की तस बनी हुई है। लोगों ने चेतावनी दी कि यदि समस्या का स्थायी समाधान नहीं किया गया तो उनकी विरोध की गतिविधियां और भी बढ़ सकती हैं। विरोध की सूचना मिलने पर नगर निगम के अधिकारी मौके पर पहुंचे और प्रदर्शन कर रहे लोगों से बातचीत की।
उप-आयुक्त प्रशांत लायक ने कहा कि पानी की नियमित आपूर्ति के लिए संबंधित वार्डों के उपभोक्ताओं को आवेदन देने और कर (टैक्स) जमा करने की प्रक्रिया पूरी करनी होगी। उन्होंने आश्वासन दिया कि कागजी प्रक्रिया पूरी होते ही जलापूर्ति शुरू कर दी जाएगी और समस्या के दीर्घकालिक समाधान के लिए प्रयास किए जाएंगे। स्थानीय निवासियों ने अपेक्षा जताई कि प्रशासन इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए शीघ्र ठोस कदम उठाएगा, ताकि क्षेत्र में जल संकट से राहत मिल सके।