क्या ग्रेटर नोएडा में एक और एसटीपी के निर्माण को मंजूरी मिली, आईटी सिटी को मिलेगी बड़ी सौगात?

सारांश
Key Takeaways
- आईटी सिटी में 12 एमएलडी का नया एसटीपी निर्माणाधीन है।
- इसकी लागत लगभग 42 करोड़ रुपए होगी।
- जल प्रदूषण पर नियंत्रण और पर्यावरण संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है।
- एनजीटी के निर्देशों का पालन करते हुए निर्माण किया जा रहा है।
- शोधित पानी का उपयोग औद्योगिक इकाइयों में किया जाएगा।
ग्रेटर नोएडा, 9 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। ग्रेटर नोएडा में सीवरेज शोधन व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए प्राधिकरण ने एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है। प्राधिकरण ने आईटी सिटी में 12 एमएलडी (मिलियन लीटर प्रतिदिन) क्षमता वाले आधुनिक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) के निर्माण को मंजूरी दे दी है।
इस परियोजना की लागत लगभग 42 करोड़ रुपए होगी और इसे 12 माह के भीतर तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है। सीईओ एनजी रवि कुमार के निर्देश पर सीवर विभाग ने इस एसटीपी के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह प्लांट टर्शरी ट्रीटमेंट तकनीक पर आधारित होगा, जिससे शोधित पानी और भी साफ और उपयोगी हो सकेगा।
एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) ने निर्देश दिए हैं कि मौजूदा एसटीपी से निकलने वाले पानी में फिकल की मात्रा 230 मिलीग्राम प्रति लीटर से घटाकर 100 मिलीग्राम प्रति लीटर से भी नीचे लाई जाए। साथ ही बीओडी, सीओडी और टीडीएस की मात्रा को भी काफी कम करने के लिए तकनीकी सुधार किए जाएं। वर्तमान में ग्रेटर नोएडा में चार एसटीपी संचालित हैं, जिनमें बादलपुर में 2 एमएलडी, कासना में 137 एमएलडी, ईकोटेक-2 में 15 एमएलडी और ईकोटेक-3 में 20 एमएलडी क्षमता के एसटीपी शामिल हैं।
इसके अलावा, ग्रेटर नोएडा वेस्ट के सेक्टर-1 में 45 एमएलडी क्षमता का एसटीपी निर्माणाधीन है। अब आईटी सिटी में बनने वाला 12 एमएलडी का एसटीपी इस श्रृंखला में एक नई कड़ी साबित होगा। प्राधिकरण के एसीईओ प्रेरणा सिंह ने बताया कि एनजीटी के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए शहर की आवश्यकताओं के अनुसार एसटीपी का निर्माण किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि ग्रेटर नोएडा वेस्ट में एसटीपी का काम पहले से शुरू हो चुका है और आईटी सिटी में टेंडर प्रक्रिया चल रही है। जल्द ही यहां भी निर्माण शुरू होगा। इसके साथ ही प्राधिकरण मौजूदा सभी एसटीपी को तकनीकी रूप से अपग्रेड करने पर काम कर रहा है ताकि शोधित पानी की गुणवत्ता में सुधार हो सके।
उन्होंने बताया कि शोधित पानी का उपयोग न केवल औद्योगिक इकाइयों में किया जाएगा बल्कि इससे भूजल स्तर को बनाए रखने में भी मदद मिलेगी। जल प्रदूषण पर नियंत्रण और पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से यह परियोजना अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है।