क्या चंडीगढ़ विवाद पर गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया है?

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क्या चंडीगढ़ विवाद पर गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया है?

सारांश

चंडीगढ़ के 131वें संविधान संशोधन पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। पंजाब सरकार और अन्य दलों का विरोध जारी है। गृह मंत्रालय ने इस मुद्दे पर स्थिति स्पष्ट की है, जिसमें अगले निर्णय के लिए सभी हितधारकों से विचार-विमर्श की बात कही गई है।

Key Takeaways

  • चंडीगढ़ विवाद पर गृह मंत्रालय का स्पष्टीकरण
  • 131वें संविधान संशोधन का विरोध
  • पंजाब सरकार और शिरोमणि अकाली दल की प्रतिक्रियाएँ
  • केंद्र सरकार का निर्णय सभी हितधारकों से विचार-विमर्श के बाद होगा
  • इस मुद्दे की संवेदनशीलता और महत्व

नई दिल्ली, 23 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। संसद के शीतकालीन सत्र में चंडीगढ़ को लेकर 131वां संविधान संशोधन लाने पर विवाद अभी भी जारी है। पंजाब सरकार और अन्य राजनीतिक दल इस मुद्दे का जोरदार विरोध कर रहे हैं। इसी बीच, केंद्र सरकार ने इस विषय पर फैल रही भ्रांतियों को स्पष्ट किया।

गृह मंत्रालय ने अपने एक्स हैंडल पर एक पोस्ट में बताया कि कानून बनाने का प्रस्ताव अभी केंद्र सरकार के स्तर पर विचाराधीन है। उन्होंने कहा, "संघ राज्य क्षेत्र चंडीगढ़ के लिए केवल केंद्र सरकार द्वारा कानून बनाने की प्रक्रिया को सरल बनाने का प्रस्ताव फिलहाल विचाराधीन है। इस पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है।"

मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि इस प्रस्ताव में किसी भी प्रकार से चंडीगढ़ की शासन-प्रशासन की व्यवस्था या इसे पंजाब या हरियाणा के परंपरागत संबंधों को बदलने का कोई इरादा नहीं है। चंडीगढ़ के हितों का ध्यान रखते हुए सभी हितधारकों से पर्याप्त विचार-विमर्श के बाद ही उचित निर्णय लिया जाएगा।

मंत्रालय ने लिखा, "इस विषय पर चिंता की कोई आवश्यकता नहीं है। आगामी शीतकालीन सत्र में इस आशय का कोई बिल प्रस्तुत करने की केंद्र सरकार की कोई मंशा नहीं है।"

इससे पहले पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इसे पंजाब के हितों के खिलाफ बताया था। उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया, "संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में केंद्र सरकार द्वारा लाए जा रहे प्रस्तावित संविधान (131वां संशोधन विधेयक) का हम कड़ा विरोध करते हैं। यह संशोधन पंजाब के हितों के विरुद्ध है। हम केंद्र सरकार द्वारा पंजाब के विरुद्ध रची जा रही साजिश को सफल नहीं होने देंगे। चंडीगढ़ पर केवल पंजाब का हक है। हम अपना हक यूं ही नहीं जाने देंगे। इसके लिए जो भी कदम उठाने पड़ेंगे, हम उठाएंगे।"

शिरोमणि अकाली दल ने भी इस पर आपत्ति जताई है। सांसद हरसिमरत कौर बादल ने एक पोस्ट में लिखा, "शिरोमणि अकाली दल इस शीतकालीन सत्र में केंद्र सरकार द्वारा पेश किए जा रहे प्रस्तावित संविधान (131वां संशोधन) बिल का कड़ा विरोध करता है। यह संशोधन चंडीगढ़ को एक राज्य में बदल देगा और चंडीगढ़ पर पंजाब के अधिकार को पूरी तरह से छीन लेगा।"

उन्होंने कहा, "पहले कांग्रेस ने पंजाब से चंडीगढ़ छीन लिया था और अब इसे अलग राज्य बनाने के फैसले को पंजाब कभी स्वीकार नहीं करेगा। यह संशोधन बिल पंजाब के अधिकारों की लूट है और फेडरल स्ट्रक्चर के सिद्धांतों का उल्लंघन है। शिरोमणि अकाली दल ऐसा नहीं होने देगा और इस सत्र में इसका कड़ा विरोध किया जाएगा।"

Point of View

बल्कि यह पंजाब और हरियाणा के पारंपरिक संबंधों को भी प्रभावित करता है। केंद्र सरकार का निर्णय सभी हितधारकों के साथ विचार-विमर्श के बाद ही लिया जाएगा, यह दर्शाता है कि यह मामला संवेदनशील है। हमें इस स्थिति को ध्यान से देखना चाहिए।
NationPress
28/11/2025

Frequently Asked Questions

चंडीगढ़ विवाद का मुख्य कारण क्या है?
चंडीगढ़ विवाद का मुख्य कारण 131वें संविधान संशोधन का प्रस्ताव है, जिसे पंजाब सरकार और अन्य दलों द्वारा विरोध किया जा रहा है।
गृह मंत्रालय ने क्या स्पष्ट किया है?
गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि इस प्रस्ताव पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है और सभी हितधारकों से विचार-विमर्श किया जाएगा।
पंजाब सरकार की प्रतिक्रिया क्या है?
पंजाब सरकार ने इस संशोधन को पंजाब के हितों के खिलाफ बताया है और इसका विरोध करने की बात कही है।
क्या इस विवाद का कोई समाधान निकलेगा?
हालांकि यह विवाद जटिल है, लेकिन सभी पक्षों के विचार-विमर्श के बाद ही उचित निर्णय लिया जाएगा।
शिरोमणि अकाली दल का क्या कहना है?
शिरोमणि अकाली दल ने इस संशोधन का कड़ा विरोध किया है और इसे पंजाब के अधिकारों की लूट बताया है।
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