क्या गृह मंत्री अमित शाह ने मां जानकी के लिए भव्य मंदिर का भूमि पूजन किया?

सारांश
Key Takeaways
- पुनौरा धाम में जानकी मंदिर का निर्माण धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देगा।
- भूमि पूजन में केंद्रीय गृह मंत्री और मुख्यमंत्री शामिल हुए।
- मंदिर का निर्माण 67 एकड़ भूमि में किया जाएगा।
- 2028 तक मंदिर के पूरा होने की योजना है।
- यह धार्मिक स्थल स्थानीय रोजगार के अवसर बढ़ाएगा।
सीतामढ़ी, 8 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। बिहार के सीतामढ़ी जिले के पुनौरा धाम में माता सीता को समर्पित एक भव्य जानकी मंदिर के निर्माण की दिशा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वैदिक मंत्रोच्चार और धार्मिक अनुष्ठानों के बीच भूमि पूजन किया और आधारशिला रखी। इस अवसर पर उन्होंने पुनौरा धाम में पूजा अर्चना की और आशीर्वाद लिया।
अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर की तर्ज पर, यह मंदिर परिसर 67 एकड़ भूमि में विकसित किया जाएगा, जिसकी कुल लागत 882.87 करोड़ रुपये है। मंदिर की ऊंचाई 151 फीट होगी और इसके 2028 तक तैयार होने की आशा है। इस भूमि पूजन के लिए देश के 21 तीर्थस्थलों की मिट्टी और 31 नदियों का जल मंगवाया गया। तिरुपति बालाजी मंदिर की तर्ज पर 50 हजार लड्डू पैकेट तैयार किए गए हैं।
शिलान्यास समारोह में बिहार सरकार के मंत्री, केंद्रीय मंत्री, साधु-संत, और हजारों श्रद्धालु उपस्थित रहे। इस आयोजन के दौरान वातावरण पूर्णतः आध्यात्मिक रहा। राज्य सरकार और पर्यटन विभाग इस कार्यक्रम को ऐतिहासिक बनाने में जुटे हैं।
पुनौरा धाम को माता सीता की जन्मस्थली माना जाता है। यह मंदिर भविष्य में धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन का एक प्रमुख केंद्र बनने की ओर अग्रसर है। मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की सुविधाओं के लिए अत्याधुनिक व्यवस्थाएं की जा रही हैं। स्थानीय लोगों का मानना है कि पुनौरा धाम के तीर्थ स्थल के रूप में विकसित होने से बिहार में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। अयोध्या के राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के अनुरूप पुनौरा धाम का समग्र विकास 2028 तक पूरा होने की उम्मीद है।
सीता मंदिर और उसके आसपास लगभग 67 एकड़ भूमि में यह तीर्थ क्षेत्र विकसित हो रहा है। रामायण सर्किट के साथ ही केंद्र सरकार 'हिंदू सर्किट' योजना के तहत 14 प्रमुख मंदिरों को धार्मिक पर्यटन के विकास में शामिल कर रही है। इसके अलावा, बोधगया, देवघर, गया, वैशाली जैसे बौद्ध और जैन स्थलों का भी विकास किया जा रहा है। इन सभी तीर्थों, मठ-मंदिरों और धार्मिक स्थलों के विकास से रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।