क्या पीएम मोदी ने ‘वांचे गुजरात’ अभियान की शुरुआत की थी, और क्या ‘परीक्षा पे चर्चा’ ने छात्रों को सहारा दिया?

सारांश
Key Takeaways
- वांचे गुजरात अभियान ने पढ़ने की आदत को बढ़ावा दिया।
- परीक्षा पे चर्चा ने छात्रों के मानसिक तनाव को कम किया।
- इन पहलों ने विचार शक्ति को सशक्त किया।
- छात्रों के लिए जीवन के अनुभव साझा किए गए।
- समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास।
गुजरात, 4 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2010 में अपने कार्यकाल के दौरान ‘वांचे गुजरात अभियान’ की शुरुआत की। इसका उद्देश्य था हर उम्र के व्यक्तियों में पढ़ाई की आदत को प्रोत्साहित करना, मानसिक क्षमता को बढ़ाना और सोचने-समझने की क्षमता को विकसित करना। इस अभियान की सफलता के बाद, 2018 में उन्होंने ‘परीक्षा पे चर्चा’ कार्यक्रम की शुरुआत की।
इसका मुख्य लक्ष्य छात्रों से सीधा संवाद करना, परीक्षा के तनाव को कम करना और जीवन के अनुभव साझा करना था। इन पहलों ने न केवल लोगों की सोचने की क्षमता को बढ़ाया, बल्कि उनके अध्ययन और जीवन के प्रति दृष्टिकोण भी बदला है।
प्रधानमंत्री मोदी ने बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी में पढ़ने की आदत विकसित करने के लिए 2010 में ‘वांचे गुजरात अभियान’ की शुरुआत की। उनका मानना था कि पढ़ाई से विचारों में मजबूती आती है।
इस अभियान के तहत राज्य के स्कूलों और सरकारी कार्यालयों में सभी को पाठ्य सामग्री पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया गया, ताकि उनकी सोचने और समझने की शक्ति में वृद्धि हो सके।
गुजरात के प्राथमिक शिक्षा निदेशक महेश जोशी ने कहा कि यह अभियान बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी को पढ़ाई के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से शुरू किया गया था।
इस समय ‘वांचे गुजरात अभियान’ ने काफी सफलता प्राप्त की। जब मोदी ने केंद्र में जिम्मेदारी संभाली, तो उन्होंने 2018 में इसी पर आधारित ‘परीक्षा पे चर्चा’ कार्यक्रम की शुरुआत की। तब से, मोदी हर साल इस कार्यक्रम में भाग लेते हैं, छात्रों के मन से परीक्षा का डर निकालने के लिए उनके साथ संवाद करते हैं और जीवन में सफलता के लिए आवश्यक टिप्स साझा करते हैं।
‘वांचे गुजरात’ से लेकर ‘परीक्षा पे चर्चा’ तक, मोदी के ये कार्यक्रम न केवल लोगों की विचार शक्ति को सशक्त करते हैं, बल्कि उनके जीवन जीने के नजरिए को भी बदल देते हैं।