क्या गुजरात की ‘लखपति दीदी योजना’ ने डांग की महिला वंदनाबेन को आत्मनिर्भर बनाया?

सारांश
Key Takeaways
- लखपति दीदी योजना ग्रामीण महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है।
- सरकार द्वारा दी जाने वाली सहायता से महिलाएं आत्मनिर्भर हो रही हैं।
- ‘नाहरी’ भोजनालय ने स्थानीय सांस्कृतिक भोजन को प्रोत्साहित किया है।
डांग, 5 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना ‘लखपति दीदी योजना’ राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से आत्मनिर्भर बनाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त करना और उन्हें उद्यमिता के अवसर प्रदान करना है।
गुजरात सरकार ने राज्य में विभिन्न महिला-केंद्रित योजनाओं को सफलतापूर्वक लागू किया है। इन पहलों का परिणाम यह है कि आज हजारों ग्रामीण महिलाएं न केवल अपने परिवार का सहारा बनी हैं, बल्कि आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होकर समाज में एक उदाहरण प्रस्तुत कर रही हैं।
गुजरात के डांग जिले के वघई क्षेत्र का एक प्रेरणादायक उदाहरण है, जहां 12 महिलाओं के समूह ‘सरस्वती वनविभाग सखी मंडल’ ने सरकार की मदद से एक अनोखी पहल की है। इस समूह ने सरकारी योजना के तहत लोन लेकर ‘नाहरी’ नामक आदिवासी भोजनालय की स्थापना की है। यह भोजनालय न केवल स्थानीय स्वाद और संस्कृति को संजोए हुए है, बल्कि इन महिलाओं के जीवन में आर्थिक परिवर्तन का माध्यम भी बन चुका है।
आज इस ‘नाहरी केंद्र’ में कार्यरत सभी महिलाएं लखपति दीदी बन चुकी हैं। वे आत्मनिर्भरता का उदाहरण पेश करते हुए न केवल अपने परिवार का भरण-पोषण कर रही हैं, बल्कि अन्य महिलाओं को भी स्वावलंबन की राह पर प्रेरित कर रही हैं।
लखपति दीदी वंदनाबेन ने राष्ट्र प्रेस से विशेष बातचीत में बताया कि वे ‘सरस्वती वनविभाग सखी मंडल’ से जुड़ी हुई हैं। उन्होंने कहा कि हमारे समूह में 12 महिलाएं हैं। हम अपने समूह में अन्य महिलाओं को जोड़कर उन्हें काम देते हैं। हमारे यहां का डांगी खाना लोग पसंद करते हैं, जिसकी वजह से यह प्रसिद्ध है। खाने में रागी की रोटी, उड़द की दाल और भुजिया सब्जी दी जाती है। हमें सरकार की तरफ से आसानी से लोन मिल जाता है। यहां पर रोजगार मिलने से हम अपने परिवार का अच्छे से पालन कर पा रहे हैं और आर्थिक रूप से मजबूत हो रहे हैं।