क्या मनसुख मांडविया ने गुजरात में ईपीएफओ कार्यालय का उद्घाटन कर 'वर्कर्स का मंदिर' बताया?

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क्या मनसुख मांडविया ने गुजरात में ईपीएफओ कार्यालय का उद्घाटन कर 'वर्कर्स का मंदिर' बताया?

सारांश

गुजरात में ईपीएफओ कार्यालय का उद्घाटन एक ऐतिहासिक अवसर है, जहां केंद्रीय श्रम मंत्री मनसुख मांडविया ने इसे श्रमिकों का 'मंदिर' बताया। यह कार्यालय करोड़ों श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा का प्रतीक है, जो उनके भविष्य को सुरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

Key Takeaways

  • ईपीएफओ कार्यालय श्रमिकों के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र है।
  • यह सामाजिक सुरक्षा का प्रतीक बन चुका है।
  • भारत में 94 करोड़ लोगों के लिए सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित की गई है।
  • ईपीएफओ में 28 लाख करोड़ रुपए का फंड सुरक्षित है।
  • सरकार ने रोजगार के लिए प्रतिबद्धता जताई है।

गांधीनगर, 26 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री मनसुख मांडविया ने गुजरात में ईपीएफओ (कर्मचारी भविष्य निधि संगठन) कार्यालय के उद्घाटन के अवसर पर अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए इसे देश के करोड़ों श्रमिकों की आस्था का केंद्र बताया। उन्होंने कहा कि ईपीएफओ केवल एक सरकारी कार्यालय नहीं, बल्कि श्रमिकों के लिए एक मंदिर के समान है।

मांडविया ने कहा कि ईपीएफओ देश के 8 करोड़ से अधिक कामगारों की सामाजिक सुरक्षा से जुड़ा हुआ है। ईपीएफओ में जमा धन पूरी तरह से सुरक्षित है और इसकी गारंटी भारत सरकार देती है। अगर किसी भी तरह की अनहोनी होती है, तो श्रमिकों के पैसे की जिम्मेदारी सरकार की होती है। इसी कारण ईपीएफओ श्रमिकों की आस्था का सबसे बड़ा केंद्र बन चुका है।

उन्होंने बताया कि वर्तमान में देश के श्रमिकों का लगभग 28 लाख करोड़ रुपए का फंड ईपीएफओ के पास सुरक्षित है। मंत्री ने इसे ऐतिहासिक उपलब्धि बताते हुए कहा कि यह संस्था केवल ईंट और सीमेंट की इमारत नहीं, बल्कि मेहनतकश वर्ग के भविष्य की सुरक्षा का प्रतीक है।

अपने संबोधन में मनसुख मांडविया ने ईपीएफओ कर्मचारियों की भूमिका की सराहना करते हुए उन्हें 'पुजारी' की संज्ञा दी। उन्होंने कहा कि इस भवन में आने वाला हर व्यक्ति भगवान के समान है और कर्मचारियों को इसी भावना के साथ जनता की सेवा करनी चाहिए।

मंत्री ने अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि वर्ष 2014 से पहले देश की केवल 19 प्रतिशत आबादी को ही सामाजिक सुरक्षा मिलती थी, जिसमें स्वास्थ्य, पेंशन और दुर्घटना बीमा शामिल था। आज 2025 में यह आंकड़ा बढ़कर 64 प्रतिशत हो गया है।

उन्होंने बताया कि हाल ही में अंतरराष्ट्रीय श्रम सम्मेलन में भारत की सामाजिक सुरक्षा व्यवस्था की सराहना हुई और देश को सम्मान मिला। एक मंत्री के तौर पर उन्हें भी सम्मान प्रमाण पत्र प्रदान किया गया।

मांडविया ने कहा कि आज देश के 94 करोड़ लोगों के लिए सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित की जा चुकी है, जिनमें से 8 करोड़ लोग सीधे ईपीएफओ से लाभान्वित हो रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि 2026 के अंत तक भारत 100 करोड़ लोगों को सामाजिक सुरक्षा देने वाला देश बन जाएगा।

उन्होंने रोजगार को लेकर सरकार की प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहा कि हर व्यक्ति को काम देने का संकल्प लिया गया है। पहली बार नौकरी करने वालों को 15 हजार रुपए की आर्थिक सहायता दी जाएगी।

अर्थव्यवस्था पर बोलते हुए मंत्री ने कहा कि जब विकसित देशों की आर्थिक वृद्धि 4 प्रतिशत से कम है, तब भारत 8.2 प्रतिशत की दर से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि मजबूत अर्थव्यवस्था से विकास होता है, आय बढ़ती है, और लोगों की खर्च करने की क्षमता भी मजबूत होती है।

Point of View

बल्कि उन्हें आर्थिक मदद भी प्रदान करेगा। ऐसे समय में जब देश को आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, यह उद्घाटन एक सकारात्मक संकेत है।
NationPress
26/12/2025

Frequently Asked Questions

ईपीएफओ क्या है?
ईपीएफओ का अर्थ कर्मचारी भविष्य निधि संगठन है, जो श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा और भविष्य की वित्तीय सुरक्षा को सुनिश्चित करता है।
मनसुख मांडविया ने ईपीएफओ कार्यालय का उद्घाटन क्यों किया?
उन्होंने इसे श्रमिकों के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र बताते हुए सामाजिक सुरक्षा को मजबूत करने के लिए उद्घाटन किया।
ईपीएफओ के पास कितना धन सुरक्षित है?
वर्तमान में ईपीएफओ के पास श्रमिकों का लगभग 28 लाख करोड़ रुपए का फंड सुरक्षित है।
सरकार की रोजगार नीति क्या है?
सरकार ने हर व्यक्ति को काम देने का संकल्प लिया है, और पहली बार नौकरी करने वालों को 15 हजार रुपए की आर्थिक सहायता दी जाएगी।
भारत की सामाजिक सुरक्षा प्रणाली में क्या बदलाव आया है?
वर्ष 2014 में केवल 19 प्रतिशत आबादी को सामाजिक सुरक्षा मिलती थी, जो अब 64 प्रतिशत तक पहुंच गई है।
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