क्या नवसारी के सिमलगाम गांव में वर्षा जल संचयन की अनूठी पहल है?
सारांश
Key Takeaways
- सिमलगाम गांव ने जल संरक्षण में एक अनूठी पहल की है।
- बारिश के पानी का संग्रहण किया जा रहा है।
- जनभागीदारी से जल स्तर में सुधार हो रहा है।
- वन कवच पहल से भूजल स्तर बढ़ा है।
- जल संकट का समाधान हो रहा है।
नवसारी, 2 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। गुजरात के नवसारी जिले की जलालपुर तालुका में सिमलगाम गांव ने वर्षा जल संचयन के क्षेत्र में एक अनूठी मिसाल प्रस्तुत की है। इस गांव में बारिश के पानी को संचित कर जल संरक्षण की महत्वपूर्ण मुहिम चलाई जा रही है। सरकारी प्रयासों के साथ-साथ नवसारी के सामाजिक संगठन भी इस कार्य में सक्रिय भागीदारी निभा रहे हैं, जिससे जल संचयन एवं संरक्षण में सफलता प्राप्त हो रही है।
जल संरक्षण कार्यकर्ता डॉ. अमिताबेन पटेल ने बताया कि पानी के प्रवाह को रोकने के लिए हमने 6 गुणा 6 का गड्ढा बनाया, जिसमें पत्थर डालकर पानी को भूमि के अंदर भेजने का काम शुरू किया। इससे पहले जो पानी बह जाता था, उसका एक बड़ा हिस्सा अब हमारी भूमि में समाहित हो गया है। इस प्रक्रिया से धीरे-धीरे जल स्रोतों का रीचार्ज होना शुरू हुआ और जल स्तर में सुधार आया है। इससे जल की कमी का समाधान मिला है।
गुजरात सरकार की वन कवच पहल के अंतर्गत चलने वाले रेन वाटर हार्वेस्टिंग अभियान से सिमलगाम समेत कई अन्य गांवों में भी भूजल स्तर में सुधार हुआ है।
पंचायत जल आपूर्ति विभाग के कार्यपालक इंजीनियर जयनीश अंगध ने कहा कि सिमलगाम में वन कवच पहल के तहत एक वाटर रीचार्जिंग स्ट्रक्चर बनाया गया है। इस संरचना में आसपास के तीन गांवों - छीड़म, सिमलगाम और छपरा का पानी संयुक्त रूप से इकट्ठा किया गया है। यहां 14 गुणा 10 मीटर का रेन वाटर हार्वेस्टिंग संरचना बनाया गया है।
कभी जल संकट से जूझ रहे क्षेत्र के कई गांवों में इस पहल के कारण न केवल जल स्रोतों का रीचार्ज हो रहा है, बल्कि भूमि की गुणवत्ता में भी सुधार हो रहा है।
नवसारी में जनभागीदारी के माध्यम से किए जा रहे इन प्रयासों के सकारात्मक परिणाम उत्साहजनक हैं।