क्या गुरु तेग बहादुर का 350वां शहीदी दिवस मनाने का समारोह आनंदपुर साहिब में हुआ?
सारांश
Key Takeaways
- गुरु तेग बहादुर जी का बलिदान मानवता के लिए महत्वपूर्ण है।
- श्री आनंदपुर साहिब में आयोजित समारोह में हजारों संगत ने भाग लिया।
- मुख्यमंत्री और राज्यपाल ने श्रद्धांजलि अर्पित की।
- धार्मिक समारोह का आयोजन भाईचारे को बढ़ावा देता है।
- गुरु जी की शिक्षाएं आज भी प्रेरणा का स्रोत हैं।
चंडीगढ़, 23 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। सिख धर्म के महान गुरु श्री गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहीदी दिवस के विशेष अवसर पर रविवार को श्री आनंदपुर साहिब में एक भव्य धार्मिक समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बाबा बुढ़ा दल छावनी में श्री अखंड पाठ साहिब के समक्ष मत्था टेका।
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर इस समारोह की तस्वीर साझा की। इस अवसर पर पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल भी उपस्थित रहे।
भगवंत मान ने कहा, "नौवें पातशाह साहिब श्री गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहीदी दिवस को समर्पित श्री आनंदपुर साहिब स्थित बाबा बुढ़ा दल छावनी में श्री अखंड पाठ साहिब के आरंभ के अवसर पर राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया और राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल के साथ शामिल होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।"
उन्होंने गुरु के चरणों में पंजाबियों के कल्याण, भाईचारे और एकता के लिए प्रार्थना की। इस शहीदी दिवस के अवसर पर सभी कार्यक्रमों में गुरु साहिब जी सदैव अंग-संग सहाई बने रहे और सभी कार्य मर्यादा अनुसार संपन्न हों।
राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया ने भी गुरु तेग बहादुर जी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि हिंद दी चादर गुरु साहिब ने मानवता, धर्म और इंसानियत की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। उनकी शिक्षाएं आज भी पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।
अरविंद केजरीवाल ने 'एक्स' पर तस्वीर पोस्ट करते हुए लिखा, "श्री आनंदपुर साहिब में नौवें पातशाह श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की 350वीं शहीदी शताब्दी को समर्पित श्री अखंड पाठ साहिब का आरंभ हुआ। इस दिव्य समागम में उपस्थित होकर गुरु साहिब जी के चरणों में नतमस्तक होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।"
इस खास मौके पर श्री आनंदपुर साहिब को खूबसूरत फूलों और लाइटों से सजाया गया था। हजारों की संख्या में संगत दूर-दूराज से पहुंची और गुरु महाराज के सामने नतमस्तक हुई। बाबा बुढ़ा दल के मुखी और प्रमुख संत-महापुरखों ने भी अखंड पाठ साहिब का भोग डाला।