क्या ग्वालियर का 'गोपाल मंदिर' राधा कृष्ण को करोड़ों के आभूषण पहनाकर 24 घंटे दर्शन देता है?

सारांश
Key Takeaways
- गोपाल मंदिर में जन्माष्टमी पर राधा कृष्ण का भव्य श्रृंगार होता है।
- इस अवसर पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जाते हैं।
- मंदिर की स्थापना 1921 में की गई थी।
- राधा कृष्ण के आभूषणों की कीमत 100 करोड़ के आस-पास है।
- मंदिर 24 घंटे खुला रहता है।
ग्वालियर, 16 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। देशभर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में स्थित गोपाल मंदिर को आकर्षक ढंग से सजाया जाता है। महीनों की तैयारी के बाद, जन्माष्टमी के अवसर पर राधा कृष्ण की शानदार श्रृंगार के लिए बेशकीमती आभूषणों का उपयोग किया जाता है। करोड़ों रुपए के कीमती गहने उन्हें पहनाए जाते हैं। ये गहने साल में एक बार ही लॉकर से बाहर लाए जाते हैं।
मंदिर के पुजारी सागर शर्मा ने राष्ट्र प्रेस को बताया कि जन्माष्टमी के दिन मंदिर चौबीस घंटे खुला रहता है। इस मंदिर की लोकप्रियता दूर-दूर तक फैली हुई है। जन्माष्टमी के दिन करोड़ों रुपए के गहनों से सजे राधा कृष्ण को देखने के लिए भक्त साल भर उत्सुक रहते हैं।
उन्होंने बताया कि गोपाल मंदिर की स्थापना 1921 में ग्वालियर रियासत के तत्कालीन शासक माधवराव सिंधिया प्रथम द्वारा की गई थी। सिंधिया राजाओं ने भगवान राधा-कृष्ण की पूजा के लिए चांदी के बर्तन और रत्न जड़ित सोने के आभूषण बनाए थे। मंदिर में भगवान राधा-कृष्ण की अद्भुत प्रतिमाएं विद्यमान हैं।
एक श्रद्धालु ने बताया कि राधा कृष्ण पर सजाए जाने वाले इन गहनों की कीमत लगभग 100 करोड़ के आस-पास है। हीरे, मोती और पन्ना जैसे कीमती रत्नों से सजे भगवान के मुकुट और अन्य आभूषण सालभर बैंक के लॉकर में रहते हैं। जन्माष्टमी के दिन इन गहनों को सुरक्षा व्यवस्था के तहत मंदिर लाया जाता है और राधा-कृष्ण का श्रृंगार किया जाता है। भगवान 24 घंटे तक ये जेवर पहनकर भक्तों को दर्शन देते हैं। शहर के महापौर दिन के ठीक 12 बजे गहनों से राधा कृष्ण का श्रृंगार कर महाआरती करते हैं।
यह जानकारी भी ध्यान देने योग्य है कि जन्माष्टमी पर गोपाल मंदिर में राधा कृष्ण की मूर्ति को महंगे आभूषणों से सजाया जाता है, जिसके बाद वे इस विशेष दिन 24 घंटे भक्तों को दर्शन देते हैं। उनकी सुरक्षा के लिए मंदिर पर कड़ा पहरा बैठाया जाता है। लगभग 150 से ज्यादा सुरक्षाकर्मी मंदिर के गहनों और भक्तों की सुरक्षा के लिए तैनात रहते हैं। साथ ही सीसीटीवी कैमरों की मदद से मंदिर और आसपास के परिसर में पुलिस की निगरानी रहती है।