क्या हर्षा भोगले का कमेंट्री में हुनर और पैशन अद्वितीय है?

सारांश
Key Takeaways
- हर्षा भोगले की कमेंट्री में विशेष हास्य का पुट होता है।
- उन्होंने महज 19 साल की उम्र में कमेंट्री शुरू की।
- हर्षा भोगले का जन्म 19 जुलाई 1961 को हुआ था।
- वे क्रिकेट के साथ टेनिस और फुटबॉल में भी कमेंट्री करते हैं।
- उनकी कमेंट्री को 'वॉइस ऑफ क्रिकेट' कहा जाता है।
नई दिल्ली, 18 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। भारत में कई पूर्व क्रिकेटरों ने संन्यास के बाद कमेंट्री की दुनिया में अपनी पहचान बनाई है। इन प्रसिद्ध चेहरों ने अपनी आवाज से क्रिकेट का आंखों देखा हाल हर घर तक पहुंचाया है। चाहे सुनील गावस्कर हों या रवि शास्त्री, इन्होंने कमेंट्री को एक नई दिशा दी। इसी बीच, एक ऐसा नाम उभरा जो परंपरागत क्रिकेटर नहीं था, लेकिन अपने हुनर और पैशन से अंग्रेजी कमेंट्री का पर्याय बन गया। यह नाम है हर्षा भोगले, जिन्होंने इंग्लिश कमेंट्री में एक अनोखा फैन बेस बनाया।
हर्षा ने अंग्रेजी कमेंट्री में दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया और क्रिकेट की कला को युवाओं तक पहुंचाया। समय के साथ, जब हिंदी भाषा का बाजार बढ़ा, हर्षा हिंदी में भी कमेंट्री करते नजर आए हैं। उन्होंने अपने करियर में कई टूर्नामेंट्स कवर किए हैं।
भोगले की कमेंट्री उनकी गहरी क्रिकेट समझ, हास्य और दर्शकों से जुड़ने की कला के लिए जानी जाती है। वे जटिल क्रिकेट रणनीतियों को सरल भाषा में समझाने में माहिर हैं। उनकी निष्पक्ष टिप्पणियां और खेल के प्रति जुनून ने हर्षा की कमेंट्री को 'वॉइस ऑफ क्रिकेट' बना दिया है।
19 जुलाई 1961 को जन्मे हर्षा भोगले शनिवार को अपना 64वां जन्मदिन परिवार के साथ मनाएंगे। हर्षा भोगले ने न केवल भारतीय खिलाड़ियों के साथ बल्कि विदेशी क्रिकेटरों के साथ भी कई बार कमेंट्री की है। भारतीय खिलाड़ियों के साथ उनके रिश्ते काफी मजबूत हैं। हर्षा अपने मजाक के लिए भी मशहूर हैं। कई बार उनकी तकनीकी जानकारी देने का अंदाज भी हास्य से भरपूर होता है।
हैदराबाद में एक मराठी परिवार में जन्मे हर्षा ने अपनी विशिष्ट आवाज और विश्लेषण से क्रिकेट प्रशंसकों के बीच एक खास जगह बनाई है। दर्शकों को यह जानना जरूरी है कि क्रिकेट कमेंट्री करने से पहले हर्षा ने हैदराबाद में डिवीजन क्रिकेट खेला है।
हर्षा से जुड़ी एक खास बात यह है कि उन्होंने महज 19 साल की उम्र में कमेंट्री शुरू की। भोगले ने अपने करियर में कई उतार-चढ़ाव भी देखे हैं। 2019 में भारत-बांग्लादेश टेस्ट मैच के दौरान गुलाबी गेंद की दृश्यता पर हर्षा की टिप्पणी को लेकर संजय मांजरेकर के साथ उनकी तीखी बहस हुई। हालांकि, बाद में मांजरेकर ने अपने व्यवहार के लिए माफी मांगी।
इसके अलावा, हर्षा भोगले को साल 2016 में आईपीएल कमेंट्री से हटाया गया था, जिसका कारण विदेशी खिलाड़ियों की तारीफ करना बताया गया। इस घटना ने काफी चर्चा बटोरी। हालांकि, बाद में उनके फैंस ने सोशल मीडिया पर उनकी वापसी के लिए एक कैंपेन भी चलाया, जिसने काफी ध्यान आकर्षित किया।
कमेंट्री के अलावा, हर्षा एक बेहतरीन वक्ता हैं। वे कॉर्पोरेट इवेंट्स, लीडरशिप सेमिनार और मोटिवेशनल स्पीच में भी सक्रिय हैं, जहां वे खेल से प्रेरित बिजनेस और नेतृत्व के सबक साझा करते हैं। हर्षा उन चुनिंदा कमेंटेटर्स में से हैं जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्रिकेट नहीं खेला, फिर भी अपनी विश्लेषण क्षमता और खेल के प्रति समझ से दुनिया भर में सम्मान हासिल किया है।
उनकी कमेंट्री में हास्य का पुट और खिलाड़ियों के साथ सहज बातचीत उन्हें खास बनाती है। उनकी और रवि शास्त्री या सुनील गावस्कर की ऑन-एयर मजेदार बातचीत प्रशंसकों को खूब पसंद आती है। हर्षा ने क्रिकेट के अलावा अन्य खेलों, जैसे टेनिस और फुटबॉल, में भी कमेंट्री की है। उनकी बहुमुखी प्रतिभा उन्हें एक अनोखा कमेंटेटर बनाती है।