क्या जालंधर में विदेशी नागरिकों से ठगी मामले में ईडी का बड़ा एक्शन हुआ?

सारांश
Key Takeaways
- 7.31 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की गई है।
- अंकुश बस्सी और उसके सहयोगियों द्वारा अवैध कॉल सेंटर चलाया जा रहा था।
- धोखाधड़ी के माध्यम से विदेशी नागरिकों से धन कमाया गया।
- ईडी की कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम है।
- पंजाब पुलिस ने पहले ही मामले में FIR दर्ज की है।
जालंधर, 18 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) 2002 के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के जालंधर क्षेत्रीय कार्यालय ने गुरुवार को एक अस्थायी कुर्की आदेश जारी किया। इस आदेश के अंतर्गत अंकुश बस्सी, पीयूष मलिक, गुरमीत सिंह गांधी और अन्य द्वारा चलाए जा रहे अवैध कॉल सेंटर से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग की जांच में लुधियाना और मोहाली में स्थित 7.31 करोड़ रुपये की अचल संपत्तियों को कुर्क किया गया है।
पंजाब पुलिस ने आईपीसी 1860 और आईटी अधिनियम 2000 की विभिन्न धाराओं के तहत अंकुश बस्सी और उसके सहयोगियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। इसके बाद केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी ने इस एफआईआर के आधार पर मामले की जांच आरंभ की, जिसमें विदेशी नागरिकों के साथ धोखाधड़ी करने के लिए ग्राहक सहायता प्रतिनिधि बनकर उन्हें उपहार कार्ड और वर्चुअल डिजिटल संपत्तियां खरीदने के लिए प्रेरित किया गया।
ईडी की जांच में यह स्पष्ट हुआ कि अंकुश बस्सी, पीयूष मलिक और गुरमीत सिंह गांधी बिना किसी आधिकारिकता के कथित तौर पर सेवाएं प्रदान करने वाले कॉल सेंटर का संचालन कर रहे थे। उन्होंने विदेशों में अनजान ग्राहकों को धोखा देकर उनसे उपहार कार्ड और वर्चुअल डिजिटल संपत्तियां खरीदवाई।
आरोपियों ने बाद में इन उपहार कार्डों और वर्चुअल डिजिटल संपत्तियों को भारत में क्रिप्टो एक्सचेंजों के माध्यम से भुनाया और कई बैंक खातों के माध्यम से इन धनराशियों को स्थानांतरित किया। इस प्रकार, अवैध गतिविधियों से अर्जित आय का उपयोग अचल संपत्तियों की खरीद में किया गया। ईडी इस मामले की अगली जांच कर रही है।