क्या हरियाणा में आई बाढ़ कुदरती थी, या सरकार की लापरवाही का नतीजा?

सारांश
Key Takeaways
- हरियाणा की बाढ़ प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि सरकार की लापरवाही का परिणाम है।
- विधायकों को राहत कोष में योगदान देना चाहिए।
- अमृत योजना में घोटाले सामने आए हैं।
- बीपीएल कार्ड की राजनीति वोट बैंक की चिंता का विषय है।
- दिल्ली और पंजाब की राजनीति में प्रवासी नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा जरूरी है।
चंडीगढ़, 17 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने हरियाणा की वर्तमान स्थिति और सरकार की नीतियों पर तीखा हमला किया। उनका कहना है कि हाल ही में हरियाणा में आई बाढ़ प्राकृतिक आपदा नहीं थी, बल्कि यह पूरी तरह से सरकार की लापरवाही का नतीजा थी। उन्होंने बताया कि आवश्यक कदम समय पर नहीं उठाए गए।
हुड्डा ने विधायकों से अपील की कि वे एक महीने का वेतन राहत कोष में डालें, ताकि बाढ़ पीड़ितों को मदद मिल सके। उन्होंने यह भी कहा कि जब सैटेलाइट के माध्यम से पराली जलाने के चालान किए जा सकते हैं, तो किसानों की गिरदावरी क्यों नहीं की जा सकती?
उन्होंने अमृत योजना पर भी सवाल उठाए और कहा कि इसमें घोटाले हुए हैं। आज भी 6000 से अधिक गांवों में पानी भरा हुआ है और सीवरेज की सफाई नहीं की गई है।
हुड्डा ने बीपीएल कार्ड को लेकर सरकार पर वोट बैंक की राजनीति का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि चुनाव से पहले 52 लाख बीपीएल कार्ड बनाए गए और 80 प्रतिशत लोगों को बीपीएल घोषित किया गया, लेकिन अब वही कार्ड काटे जा रहे हैं, जो वोट चोरी का एक तरीका है।
अभय चौटाला के बयानों पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि यह प्रॉक्सी वॉर है। यदि भाजपा और कांग्रेस का सीधा मुकाबला होता है तो भाजपा कभी जीत नहीं सकती। कभी जेजेपी तो कभी आईएनएलडी को मैदान में उतार दिया जाता है।
दिल्ली और पंजाब की राजनीति पर भी हुड्डा ने टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि दिल्ली में जब केजरीवाल ने 27 विधायकों की टिकट काटी, तो केवल 4 ही जीत पाए। वहीं, पंजाब में प्रवासियों के साथ हो रही घटनाओं पर उन्होंने स्पष्ट कहा कि यह भारत है और हर नागरिक को यहां रहने का पूरा अधिकार है। उन्होंने सवाल किया कि क्या मैं उत्तर प्रदेश में नहीं रह सकता?
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर हुड्डा ने उन्हें शुभकामनाएं दीं, लेकिन साथ ही सेवा पखवाड़े पर तंज किया। उन्होंने कहा कि भाजपा को यह याद 11 साल बाद क्यों आई? क्या पहले प्रधानमंत्री का जन्मदिन नहीं आता था? उस दौरान उन्होंने कुछ क्यों नहीं किया और अब चुनाव से पहले पखवाड़ा मना रहे हैं।