क्या सरकार ने एलआईसी पर किसी विशेष कंपनी में निवेश करने का दबाव डाला?

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क्या सरकार ने एलआईसी पर किसी विशेष कंपनी में निवेश करने का दबाव डाला?

सारांश

एलआईसी के पूर्व शीर्ष अधिकारी ने ‘द वाशिंगटन पोस्ट’ के लेख में लगाए गए आरोपों को नकारते हुए बताया कि सरकार ने कभी भी किसी विशेष कंपनी में निवेश करने का दबाव नहीं बनाया। जानिए इस मामले की पूरी जानकारी।

Key Takeaways

  • सरकार ने कभी भी एलआईसी पर किसी विशेष कंपनी में निवेश का दबाव नहीं डाला।
  • एलआईसी ने सभी निवेश निर्णय ईमानदारी से लिए हैं।
  • ‘द वाशिंगटन पोस्ट’ की रिपोर्ट को खारिज किया गया है।
  • सरकार का हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए।
  • भारतीय वित्तीय क्षेत्र की स्वतंत्रता को बनाए रखना आवश्यक है।

नई दिल्ली, 27 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। अमेरिकी मीडिया आउटलेट ‘द वाशिंगटन पोस्ट’ द्वारा प्रकाशित एक लेख में तथ्यात्मक रूप से गलत, झूठे दावे और फर्जी नैरेटिव के माध्यम से आरोप लगाया गया कि सरकार ने लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन (एलआईसी) पर अदाणी ग्रुप में 3.9 अरब डॉलर का निवेश करने का दबाव डाला।

इस आरोप को नकारते हुए एलआईसी के एक उच्च अधिकारी ने बताया कि उनके पूरे कार्यकाल में, सरकार ने कभी भी किसी विशेष कंपनी में निवेश करने का दबाव नहीं बनाया है।

भारत की लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ने भी औपचारिक रूप से ‘द वाशिंगटन पोस्ट’ के लेख को ‘फर्जी, आधारहीन और सच से परे’ करार दिया है।

एलआईसी के एक पूर्व वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस को बताया कि उनके पूरे कार्यकाल में, “कभी भी किसी सरकारी अधिकारी ने उन्हें किसी खास कंपनी में निवेश करने का सुझाव नहीं दिया।”

एलआईसी के पूर्व शीर्ष अधिकारी ने कहा, “मुझे हर दिन चैन की नींद आती थी, क्योंकि मुझे पता था कि हम निवेश करने के लिए भी सरकारी दबाव से मुक्त हैं। हमने निवेश करने से पहले हमेशा पूरी जांच-पड़ताल की और वे सख्त प्रक्रियाएं आज भी लागू हैं।”

उन्होंने यह भी पुष्टि की कि सरकार एलआईसी के किसी भी निवेश निर्णय में हस्तक्षेप नहीं करती।

एलआईसी के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, इस तरह के बदनाम करने वाले लेख भारत की ग्रोथ स्टोरी पर प्रतिकूल प्रभाव डालने के प्रयास हैं।

एलआईसी ने पहले ही द वाशिंगटन पोस्ट की झूठी रिपोर्टों का खंडन किया है और पुष्टि की है कि सभी निवेश ईमानदारी और पूरी जांच के साथ किए जाते हैं।

लेख में दावा किया गया था कि अधिकारियों ने इस साल मई में एलआईसी से अदाणी समूह की एक फर्म में लगभग 3.9 बिलियन डॉलर के निवेश के प्रस्ताव को कथित तौर पर तेजी से आगे बढ़ाया।

एलआईसी ने बयान में कहा, “वित्तीय सेवा विभाग या किसी अन्य निकाय की ऐसे निर्णयों में कोई भूमिका नहीं होती। एलआईसी ने जांच के उच्चतम मानकों को सुनिश्चित किया है और इसके सभी निवेश निर्णय मौजूदा नीतियों, अधिनियमों के प्रावधानों और नियामक दिशानिर्देशों के अनुपालन में, सभी पक्षकारों के सर्वोत्तम हित में लिए गए हैं।”

एलआईसी ने कहा कि लेख में दिए गए ये कथित बयान “एलआईसी की सुस्थापित निर्णय लेने की प्रक्रिया को नुकसान पहुँचाने और एलआईसी की प्रतिष्ठा और छवि एवं भारत में वित्तीय क्षेत्र की मजबूत नींव को धूमिल करने के इरादे से दिए गए प्रतीत होते हैं।”

Point of View

यह स्पष्ट है कि सरकार का किसी कंपनी में निवेश के निर्णय में हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। इससे न केवल संस्थाओं की स्वतंत्रता प्रभावित होती है, बल्कि सभी हितधारकों के लिए यह एक चेतावनी भी है। हमें स्वतंत्रता, पारदर्शिता, और ईमानदारी के सिद्धांतों का पालन करना चाहिए।
NationPress
27/10/2025

Frequently Asked Questions

क्या एलआईसी पर सरकार ने दबाव डाला?
एलआईसी के पूर्व शीर्ष अधिकारी के अनुसार, सरकार ने कभी भी किसी विशेष कंपनी में निवेश करने का दबाव नहीं बनाया।
‘द वाशिंगटन पोस्ट’ ने क्या आरोप लगाया?
‘द वाशिंगटन पोस्ट’ ने आरोप लगाया कि सरकार ने एलआईसी पर अदाणी ग्रुप में 3.9 अरब डॉलर का निवेश करने का दबाव डाला।
एलआईसी के अधिकारियों ने इस पर क्या प्रतिक्रिया दी?
एलआईसी ने लेख को ‘फर्जी, आधारहीन और सच से परे’ बताया है।