क्या जीएसटी सुधारों से डेयरी सेक्टर को मिलेगा बूस्ट, 8 करोड़ से अधिक ग्रामीण परिवारों को होगा फायदा?

सारांश
Key Takeaways
- जीएसटी में कमी से डेयरी उत्पादों की कीमतें घटेंगी।
- 8 करोड़ से अधिक ग्रामीण परिवारों को लाभ होगा।
- डेयरी क्षेत्र का बाजार आकार 18.98 लाख करोड़ रुपए होने का अनुमान है।
- कम कराधान से किसानों और उपभोक्ताओं को मदद मिलेगी।
- बैठक के परिणामस्वरूप मिलावट पर अंकुश लगेगा।
नई दिल्ली, 5 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। जीएसटी सुधारों के माध्यम से देश के डेयरी सेक्टर की प्रतिस्पर्धात्मकता और उत्पादन क्षमता में सुधार होगा। इसके साथ ही 8 करोड़ से अधिक ग्रामीण परिवारों को इसका लाभ मिलेगा। यह जानकारी सरकार ने साझा की है।
56वीं जीएसटी काउंसिल ने भारतीय डेयरी क्षेत्र में दूध और दूध उत्पादों पर कर में भारी कमी की है।
भारत सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है, जिसका उत्पादन 2023-24 में 239 मिलियन टन था, जो वैश्विक दूध उत्पादन का लगभग 24 प्रतिशत है।
डेयरी क्षेत्र राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में 5.5 प्रतिशत का योगदान देता है। भारतीय डेयरी क्षेत्र का कुल बाजार आकार 2024 में 18.98 लाख करोड़ रुपए होने का अनुमान है।
जीएसटी में सुधार इस क्षेत्र में सबसे बड़े सुधारों में से एक है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि अधिकांश डेयरी उत्पाद अब या तो कर से मुक्त हैं या केवल 5 प्रतिशत की दर से कर योग्य हैं।
अल्ट्रा हाई टेम्परेचर (यूएचटी) दूध को छोड़कर सभी डेयरी दूध पहले से ही जीएसटी से मुक्त थे। समान वस्तुओं पर समान कर लागू करने के लिए अब यूएचटी दूध को भी छूट दी गई है। सोया दूध पेय को छोड़कर, प्लांट-आधारित दुग्ध पेय पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगता था, जबकि सोया दूध पेय पर 12 प्रतिशत जीएसटी लगता था। प्लांट-आधारित दुग्ध पेय और सोया दूध पेय पर जीएसटी की दर अब घटाकर 5 प्रतिशत कर दी गई है।
जीएसटी घटाने से पहले, प्री-पैकेज्ड और लेबल वाले पनीर के अलावा अन्य रूप में बेचे जाने वाले पनीर पर पहले से ही शून्य दर लागू थी। इस कारण, टैक्स में बदलाव केवल प्री-पैकेज्ड और लेबल वाले रूप में आपूर्ति किए जाने वाले पनीर के संबंध में किए गए हैं। इस उपाय का उद्देश्य भारतीय पनीर को बढ़ावा देना है।
इस महत्वपूर्ण कर-युक्तिकरण से डेयरी क्षेत्र को बढ़ावा मिलने और किसानों एवं उपभोक्ताओं दोनों को लाभ मिलने की उम्मीद है, जिससे देश के समग्र सामाजिक-आर्थिक विकास में योगदान मिलेगा।
सरकार के अनुसार, "इस सुधार से 8 करोड़ से अधिक ग्रामीण किसान परिवारों, विशेष रूप से छोटे, सीमांत और भूमिहीन मजदूरों, जो अपनी आजीविका के लिए दुधारू पशुओं का पालन-पोषण करते हैं, को सीधे लाभ होगा, साथ ही उपभोक्ताओं के एक बड़े वर्ग को भी सहायता मिलेगी। कम कराधान से परिचालन लागत कम करने, मिलावट पर अंकुश लगाने और घरेलू तथा निर्यात दोनों बाजारों में भारतीय डेयरी उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने में मदद मिलेगी।"