क्या सरकार समुद्री क्षेत्र को हरित, स्वच्छ और टिकाऊ बनाने के लिए बड़े कदम उठा रही है?
सारांश
Key Takeaways
- भारत का समुद्री क्षेत्र हरित और स्वच्छ बनाने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है।
- राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन का उद्देश्य जीरो कार्बन उत्सर्जन है।
- वर्ष 2030 तक हर साल 50 लाख टन ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन किया जाएगा।
- लगभग 80 लाख करोड़ रुपये का निवेश बंदरगाहों और जलमार्गों में किया जाएगा।
- 300 से अधिक योजनाओं के माध्यम से भारत को समुद्री शक्ति बनाने का लक्ष्य है।
नई दिल्ली, 15 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत एक नए और विशाल समुद्री परिवर्तन के युग में कदम रख रहा है। सरकार ने एक आधिकारिक बयान में कहा है कि देश अपनी लंबी समुद्री सीमा, बढ़ती औद्योगिक शक्ति और महत्वपूर्ण भौगोलिक स्थिति का उपयोग न केवल व्यापार और संपर्क को बढ़ाने के लिए कर रहा है, बल्कि पर्यावरण की सुरक्षा और भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए भी प्रयास कर रहा है।
पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय (एमओपीएसडब्ल्यू) ने ‘मैरीटाइम इंडिया विजन 2030’ की रूपरेखा तैयार की है, जो भारत के समुद्री क्षेत्र को सशक्त बनाने और इसे अधिक हरित, स्वच्छ और टिकाऊ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
इसमें बताया गया है कि समुद्री परिवहन का भविष्य ग्रीन हाइड्रोजन, अमोनिया, बायोफ्यूल और एलएनजी जैसे स्वच्छ ईंधनों पर निर्भर करेगा। इसी दिशा में राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन की शुरुआत की गई है, जिसका लक्ष्य जीरो कार्बन उत्सर्जन का मार्ग प्रशस्त करना और भारत को ग्रीन हाइड्रोजन का वैश्विक नेता बनाना है।
इसके साथ ही, वर्ष 2030 तक हर साल 50 लाख टन ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन करने, 8 लाख करोड़ रुपये का निवेश लाने, 6 लाख नौकरियां उत्पन्न करने और ईंधन आयात में 1 लाख करोड़ रुपये की बचत का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके लिए कांडला, पारादीप और तूतीकोरिन बंदरगाहों को ग्रीन हाइड्रोजन हब के रूप में विकसित किया जाएगा।
सरकार ने ‘मैरीटाइम अमृत काल विजन 2047’ भी तैयार किया है, जिसके तहत लगभग 80 लाख करोड़ रुपये का निवेश बंदरगाहों, तटीय जहाजरानी, जलमार्गों और हरित शिपिंग में किया जाएगा।
ग्रीन कॉरिडोर का निर्माण, बड़े बंदरगाहों पर ग्रीन हाइड्रोजन से ईंधन भरने की सुविधा उपलब्ध कराना और मेथनॉल से चलने वाले जहाजों को बढ़ावा देना भी इस विजन का हिस्सा है। सरकार ने 300 से अधिक योजनाओं के माध्यम से भारत को आज़ादी के 100 वर्ष पूरे होने तक दुनिया की बड़ी समुद्री और जहाज निर्माण शक्ति बनाने का लक्ष्य रखा है।
'हरित सागर ग्रीन पोर्ट गाइडलाइंस 2023', 'नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन 2023', 'ग्रीन टग ट्रांजिशन प्रोग्राम 2024' और 25,000 करोड़ रुपये के मैरीटाइम डेवलपमेंट फंड जैसी योजनाओं के माध्यम से भारत के बंदरगाह और जहाजरानी उद्योग को पर्यावरण के अनुकूल बनाया जा रहा है। इन प्रयासों से स्वच्छ बंदरगाह, कम प्रदूषण वाले जहाज और आधुनिक सुविधाएं विकसित होंगी, जिससे भारत पर्यावरण की रक्षा करते हुए एक मजबूत समुद्री देश बन सकेगा।