क्या भारत की जीडीपी ग्रोथ इस वित्त वर्ष में 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रहेगी? : एसएंडपी ग्लोबल

सारांश
Key Takeaways
- भारत की जीडीपी ग्रोथ 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रहने की उम्मीद।
- मजबूत घरेलू मांग और सुधारों का सकारात्मक प्रभाव।
- खाद्य मुद्रास्फीति में गिरावट का अनुमान।
- रिजर्व बैंक द्वारा मौद्रिक नीति में संभावित बदलाव।
- चीन की अर्थव्यवस्था में धीमी वृद्धि की संभावना।
नई दिल्ली, 23 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। एसएंडपी ग्लोबल की एक रिपोर्ट में मंगलवार को कहा गया कि मजबूत घरेलू मांग, जीएसटी सुधार और आयकर में बदलाव के कारण भारत की जीडीपी ग्रोथ इस वित्त वर्ष में 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रहने की उम्मीद है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मानसून के अच्छे रहने, आयकर और जीएसटी में कटौती और सरकारी निवेश में वृद्धि से घरेलू मांग मजबूत बनी रहेगी।
एसएंडपी ग्लोबल, क्यू 4 एशिया पैसेफिक इकोनॉमिक आउटलुक की रिपोर्ट के अनुसार, "जून तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 7.8 प्रतिशत रही, जो हमारी उम्मीद से बेहतर थी।"
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि भारत में खाद्य मुद्रास्फीति की उम्मीद से अधिक गिरावट के चलते, हमने इस वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति का अनुमान घटाकर 3.2 प्रतिशत कर दिया है।
इससे मौद्रिक नीति में बदलाव की गुंजाइश बनती है और हमें उम्मीद है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) इस वित्त वर्ष में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती करेगा।
एशिया-पैसिफिक क्षेत्र में भारत में निवेश में तेजी देखी गई है और यह मजबूती सरकारी निवेश से आई है। उभरते बाजारों में घरेलू मांग भी मजबूत बनी हुई है।
चीन के संदर्भ में, अमेरिका को शिपमेंट में गिरावट के बावजूद अगस्त में इसके कुल निर्यात में इस गिरावट का बड़ा प्रभाव नहीं दिखा। अगस्त में, यह अमेरिकी डॉलर के हिसाब से पिछले वर्ष की तुलना में 33 प्रतिशत कम था।
रिपोर्ट में कहा गया है, "हमें लगता है कि अमेरिकी टैरिफ में बढ़ोतरी और धीमी वैश्विक वृद्धि के कारण आने वाले महीनों में निर्यात में काफी कमी आएगी। जबकि अन्य अर्थव्यवस्थाओं पर अमेरिका के उम्मीद से अधिक टैरिफ से चीन की अमेरिका में स्थिति मजबूत होती है।"
चीन में घरेलू मांग की अच्छी शुरुआत के बाद उपभोग और निवेश दोनों में गिरावट आई है। घरों की बिक्री में लगातार गिरावट से हाउसिंग निवेश और लोगों का भरोसा कम हुआ है, जिससे खपत भी प्रभावित हुई है।
रिपोर्ट में कहा गया है, "हमें उम्मीद है कि कमजोर निर्यात के कारण घरेलू मांग में गिरावट और सीमित मैक्रो प्रोत्साहन के कारण 2025 और 2026 की दूसरी छमाही में चीन की अर्थव्यवस्था सालाना आधार पर लगभग 4 प्रतिशत की दर से धीमी रहेगी। कीमतों पर दबाव भी बना रहेगा।"