क्या भारत का 2047 तक 35 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य संभव है?

सारांश
Key Takeaways
- भारत 2047 तक 35 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में बढ़ रहा है।
- मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र विकास का प्रमुख इंजन बन रहा है।
- सरकार के सुधारों और नीतियों से क्षेत्र को मजबूती मिल रही है।
- औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि महत्वपूर्ण है।
- भारत वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनने की ओर अग्रसर है।
नई दिल्ली, 20 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्र सरकार के अनुसार, भारत 2047 तक 35 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर है और इस दिशा में मैन्युफैक्चरिंग विकास का मुख्य इंजन होगा, जिसे सुधारों, क्षेत्रीय प्रोत्साहनों और मजबूत सप्लाई चेन का समर्थन प्राप्त होगा।
इस क्षेत्र ने सशक्त गति प्राप्त की है, जो फिच रेटिंग्स, आईएमएफ और एसएंडपी ग्लोबल आउटलुक में जीडीपी वृद्धि अनुमान बढ़ने के अलावा मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई के 16 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंचने से भी स्पष्ट है।
एक आधिकारिक बयान में उल्लेख किया गया है, "इस क्षेत्र ने वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद मजबूती दिखाई है। देश की जीडीपी में मैन्युफैक्चरिंग की हिस्सेदारी बढ़ाने का सरकार का विजन औद्योगिक पुनरुत्थान के लिए एक स्पष्ट रोडमैप प्रस्तुत करता है। मैन्युफैक्चरिंग को पीएलआई योजना, नेशनल मैन्युफैक्चरिंग मिशन और स्किल डेवलपमेंट पहल जैसी परिवर्तनकारी नीतियों से समर्थन मिल रहा है।"
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) ने जुलाई में सालाना आधार पर 3.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की, जो जून के 1.5 प्रतिशत से एक महत्वपूर्ण बढ़ोतरी है।
यह सूचकांक मैन्युफैक्चरिंग, माइनिंग और इलेक्ट्रिसिटी जैसे क्षेत्रों में उत्पादन की मात्रा को दर्शाता है।
यह गति एचएसबीसी इंडिया मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) में भी दिखाई दी। जून 2025 में, पीएमआई 58.4 पर था, जो जुलाई में बढ़कर 59.1 हो गया और अगस्त में बढ़कर 59.3 हो गया।
यह नवीनतम आंकड़े 17 वर्षों में परिचालन स्थितियों में सबसे तेज सुधार का संकेत देते हैं।
निर्यात में वृद्धि से अर्थव्यवस्था में मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र का योगदान स्पष्ट है। अप्रैल-अगस्त 2025 में, कुल निर्यात 6.18 प्रतिशत बढ़कर 349.35 अरब डॉलर हो गया।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल-अगस्त 2025 के दौरान व्यापारिक निर्यात का संचयी मूल्य 184.13 अरब डॉलर रहा, जबकि अप्रैल-अगस्त 2024 के दौरान यह 179.60 अरब डॉलर था। इस प्रकार, इसमें 2.52 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई।
मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में स्पष्ट विकास के साथ इस क्षेत्र में वित्त वर्ष 2026 में 87,57,000 करोड़ रुपए (1 ट्रिलियन डॉलर) तक पहुंचने और 2030 तक वैश्विक अर्थव्यवस्था में सालाना 43,43,500 करोड़ रुपए (500 बिलियन डॉलर) से अधिक जोड़ने की क्षमता नजर आती है।
यह दर्शाता है कि भारत एक वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में अपनी स्थिति को लगातार मजबूत कर रहा है।
अगस्त 2025 के आंकड़ों से पता चलता है कि पुरुषों में बेरोजगारी दर (यूआर) 5 महीने के निचले स्तर 5.0 प्रतिशत पर आ गई है।
ग्लोबल सप्लाई चेन में रणनीतिक पुनर्गठन के साथ, भारत के पास इंवेस्टमेंट, इनोवेशन और बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए एक पसंदीदा गंतव्य के रूप में आगे बढ़ने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।
यदि यह गति बनी रही, तो भारत 'विश्व के कारखाने' से इनोवेशन और लीडरशिप का एक वैश्विक हब बन सकता है।