क्या वीकली एफएंडओ एक्सपायरी पर रोक लगाने की कोई योजना है? : सेबी चेयरमैन

सारांश
Key Takeaways
- सेबी ने वीकली एफएंडओ एक्सपायरी पर रोक लगाने की खबरों को खारिज किया।
- बाज़ार में बीएसई और निफ्टी में तेजी आई है।
- खुदरा निवेशकों की संख्या में कमी आई है।
- निवेशकों को सतर्क रहना चाहिए।
मुंबई, 6 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। सेबी के चेयरमैन तुहिन कांत पांडे ने बुधवार को उन खबरों को अफवाह बताते हुए खारिज कर दिया, जिनमें कहा गया था कि नियामक वीकली एक्सपायरी पर रोक लगाने की योजना बना रहा है।
मीडिया से बातचीत में सेबी अध्यक्ष ने स्पष्ट किया, "मुझे ऐसी किसी जानकारी का पता नहीं है। मीडिया रिपोर्ट्स केवल अफवाहें हैं, जो हम कह रहे हैं वह सब सार्वजनिक है।"
उन्होंने बताया कि सुधारों की आवश्यकता तो है, लेकिन इन सुधारों का स्वरूप एक प्रक्रिया के माध्यम से तय होता है।
उनके बयानों के बाद, गिरावट में चल रहे बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) के शेयरों में तेजी आई और यह कारोबार के अंत में 0.88 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 2,388 रुपए पर बंद हुआ।
सेबी के बयान के बाद निफ्टी कैपिटल मार्केट्स इंडेक्स में भी तेजी देखी गई, हालाँकि, यह 0.20 प्रतिशत की मामूली गिरावट के साथ 4,355 पर बंद हुआ।
एंजेल वन, मोतीलाल ओसवाल, यूटीआई एएमसी और कैम्स के शेयरों में 0.13 प्रतिशत से लेकर 1.5 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई।
मंगलवार को एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि बाजार नियामक और सरकार सट्टेबाजी को कम करने के लिए वीकली एक्सपायरी पर रोक लगाने पर विचार कर रहे हैं। इसके बाद बीएसई और अन्य पूंजी बाजार के शेयरों में गिरावट आई थी।
पिछले महीने, सेबी के पूर्णकालिक सदस्य अनंत नारायण ने एफएंडओ अनुबंधों में वृद्धि पर चिंता जताई थी और यह भी कहा था कि नियामक "प्रस्तावित उत्पादों और समाधानों की अवधि और परिपक्वता अवधि बढ़ाकर" एफएंडओ बाजार की गुणवत्ता में सुधार पर विचार करेगा।
उन्होने कहा, "जैसा कि कई विशेषज्ञों ने बताया है, हमारा भारतीय डेरिवेटिव बाजार इकोसिस्टम अद्वितीय है, क्योंकि एक्सपायरी के दिनों में, इंडेक्स ऑप्शंस में कारोबार अक्सर नकद बाजार के कारोबार से 350 गुना या उससे अधिक होता है। यह एक असंतुलन है, जिसके कई संभावित प्रतिकूल परिणाम हो सकते हैं।"
जुलाई 2025 में सेबी के एक अध्ययन में पाया गया कि एफएंडओ में कारोबार करने वाले खुदरा निवेशकों की संख्या पिछले वर्ष की तुलना में 20 प्रतिशत कम हुई है, लेकिन दो साल पहले की तुलना में 24 प्रतिशत बढ़ी है। एफएंडओ कारोबार छोड़ने वालों में अधिकतर व्यापारी ऐसे थे जिनका कुल कारोबार एक लाख रुपए से कम था।
वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान एफएंडओ क्षेत्र में खुदरा निवेशकों को लगभग 1.06 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ, जो वित्त वर्ष 2023-24 के 74,812 करोड़ रुपए के नुकसान से 41 प्रतिशत अधिक है।