क्या सूडान से ओडिशा के युवक की सुरक्षित वापसी संभव हुई? सीएम माझी ने विदेश मंत्रालय का आभार व्यक्त किया
सारांश
Key Takeaways
- आदर्श कुमार बेहरा की सुरक्षित वापसी से प्रशासन की तत्परता का प्रमाण मिला।
- विदेश मंत्रालय और राज्य सरकार ने मिलकर प्रभावी कदम उठाए।
- सूडान में फंसे भारतीयों की सुरक्षा के लिए सरकार की सक्रियता महत्वपूर्ण है।
भुवनेश्वर, 17 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने सूडान में फंसे ओडिशा के युवक आदर्श कुमार बेहरा की सफलतापूर्वक सुरक्षित वापसी पर विदेश मंत्रालय का आभार प्रकट किया है। मुख्यमंत्री ने इस बचाव अभियान को लेकर खुशी व्यक्त की।
जगतसिंहपुर जिले के तिरतोल क्षेत्र के कोटकाना गांव के निवासी आदर्श कुमार बेहरा वर्ष 2022 से सूडान में प्लास्टिक ऑपरेटर के रूप में कार्यरत थे। पिछले महीने उनके परिवार को यह सूचना मिली थी कि वे सूडान में लापता हो गए हैं। आदर्श की पत्नी ने बताया कि उनके पति का एक फोन आया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि वे सूडान में फंसे हुए हैं।
उन्होंने बताया कि आदर्श अपने नियोक्ता की सहायता से सूडान छोड़ने का प्रयास कर रहे थे, तभी विद्रोहियों ने उन्हें दो अन्य लोगों के साथ पकड़ लिया। घटना की जानकारी मिलने पर मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने गहरी चिंता व्यक्त की और राज्य प्रशासन को विदेश मंत्रालय से तुरंत संपर्क कर आदर्श की सुरक्षित वापसी के प्रयास तेज करने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री के निर्देश पर राज्य सरकार के अधिकारियों ने विदेश मंत्रालय को पत्र लिखकर सूडान से आदर्श की सुरक्षित रिहाई के लिए त्वरित कदम उठाने का अनुरोध किया। इसके अतिरिक्त, नई दिल्ली में ओडिशा के रेजिडेंट कमिश्नर ने भी विदेश मंत्रालय से संपर्क किया और भारतीय दूतावास की सहायता से उनकी स्थिति का पता लगाने एवं सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने की अपील की।
आदर्श कुमार बेहरा सूडान के नॉर्थ दारफुर प्रांत के एल फशर शहर में फंसे थे। विदेश मंत्रालय ने अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थों की सहायता से उन्हें सुरक्षित रूप से रेस्क्यू किया। भारत सरकार के प्रयासों से आदर्श ने सुरक्षित तरीके से ओडिशा लौटकर बुधवार को भुवनेश्वर एयरपोर्ट पर भव्य स्वागत प्राप्त किया।
मीडिया से बातचीत में आदर्श ने बताया, “जब युद्ध तेज हुआ तो मैं अपने नियोक्ता के साथ सुरक्षित स्थान पर जाने की कोशिश कर रहा था। तभी एल फशर से रास्ते में 15 से 20 आरएसएफ (रैपिड सपोर्ट फोर्स) के विद्रोहियों ने मुझे अगवा कर लिया। मुझे जंगल में तीन दिन तक रखा गया, जहां मेरे साथ मारपीट की गई। बाद में मुझे डेढ़ महीने तक जेल में रखा गया, जहां न तो बिजली थी और न ही शौचालय।”
उन्होंने आरोप लगाया कि विद्रोही उन्हें दिन में सिर्फ एक बिस्किट देते थे। साथ ही उन पर जबरन गोमांस खाने और इस्लाम धर्म अपनाने का दबाव भी डाला गया।