क्या 'राष्ट्र प्रथम' की भावना से भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत किया जा सकता है ?: राष्ट्रपति मुर्मू

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क्या 'राष्ट्र प्रथम' की भावना से भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत किया जा सकता है ?: राष्ट्रपति मुर्मू

सारांश

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने निर्यातकों से 'राष्ट्र प्रथम' की भावना के साथ भारत की अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने का आह्वान किया। उन्होंने वैश्विक व्यापार की चुनौतियों को अवसरों में बदलने की आवश्यकता पर जोर दिया। जानें इस महत्वपूर्ण संदेश के बारे में।

Key Takeaways

  • 'राष्ट्र प्रथम' की भावना से अर्थव्यवस्था को मजबूत करना आवश्यक है।
  • भारत का इंजीनियरिंग निर्यात पिछले 10 वर्षों में तेजी से बढ़ा है।
  • ईईपीसी की भूमिका महत्वपूर्ण है।
  • चुनौतियों को अवसरों में बदलने की आवश्यकता है।
  • सभी नागरिकों का संकल्प होना चाहिए कि हम ज्ञान और व्यापार का केंद्र बनें।

नई दिल्ली, 8 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को निर्यातकों से अनुरोध करते हुए कहा कि 'राष्ट्र प्रथम' की भावना के साथ भारत की अर्थव्यवस्था को निरंतर मजबूत बनाने के लिए काम करना आवश्यक है। इसके साथ ही, वैश्विक व्यापार की चुनौतियों का सामना करते हुए हमारे देश में उपलब्ध असाधारण क्षमताओं का उपयोग करके उन्हें अवसरों में परिवर्तित करने की आवश्यकता है।

राष्ट्रीय राजधानी में इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट्स प्रमोशन काउंसिल (ईईपीसी) के प्लेटिनम जयंती समारोह में अपने संबोधन में राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, "प्राचीन काल में भारत ने अध्यात्म और व्यापार दोनों में विश्व का नेतृत्व किया था। भारत को एक बार फिर ज्ञान और व्यापार का अग्रणी केंद्र बनाना सभी नागरिकों का संकल्प होना चाहिए। आर्थिक क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण हितधारक होने के नाते ईईपीसी को यह संकल्प दृढ़तापूर्वक लेना चाहिए।"

राष्ट्रपति ने यह भी बताया कि पिछले 10 वर्षों में भारत का इंजीनियरिंग निर्यात 70 अरब डॉलर से बढ़कर 115 अरब डॉलर से अधिक हो गया है।

उन्होंने कहा कि निर्यात में यह वृद्धि और भी महत्वपूर्ण लगती है, जब हम यह देखते हैं कि पिछले दशक में अंतरराष्ट्रीय व्यापार के क्षेत्र में कई चुनौतियाँ आई हैं। उन्होंने इस उपलब्धि में योगदान के लिए ईईपीसी की सराहना की।

राष्ट्रपति ने आगे कहा कि ईईपीसी अंतरराष्ट्रीय बाजार और भारतीय उत्पादकों के बीच एक पुल का काम करता है। उन्होंने ईईपीसी से आग्रह किया कि वह वैश्विक मूल्य श्रृंखला में भारत और भारतीय उद्यमियों की भूमिका का निरंतर विस्तार करें। उन्होंने कहा कि विश्व व्यापार व्यवस्था और अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था में हो रहे परिवर्तनों के कारण इसकी भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो गई है।

राष्ट्रपति के अनुसार, वैश्विक व्यापार की चुनौतियों को हमारे देश में उपलब्ध असाधारण क्षमताओं का उपयोग करके अवसरों में बदलना आवश्यक है। पिछले सात दशकों में भारत के इंजीनियरिंग निर्यात में बड़ा परिवर्तन आया है। ईईपीसी को परिवर्तन की इस प्रक्रिया को जारी रखना चाहिए और 'राष्ट्र प्रथम' की भावना के साथ भारत की अर्थव्यवस्था को निरंतर मजबूत बनाने के लिए कार्य करते रहना चाहिए।

Point of View

बल्कि हमारे संपूर्ण राष्ट्र के लिए आवश्यक है। अगर हम चुनौतियों को अवसरों में बदलना चाहते हैं, तो हमें अपनी असाधारण क्षमताओं का सही उपयोग करना होगा।
NationPress
08/09/2025

Frequently Asked Questions

राष्ट्रपति मुर्मू ने निर्यातकों से क्या कहा?
उन्होंने निर्यातकों से अपील की कि वे 'राष्ट्र प्रथम' की भावना के साथ भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में योगदान दें।
भारत का इंजीनियरिंग निर्यात कितना बढ़ा है?
पिछले 10 वर्षों में भारत का इंजीनियरिंग निर्यात 70 अरब डॉलर से बढ़कर 115 अरब डॉलर से अधिक हो गया है।
ईईपीसी की भूमिका क्या है?
ईईपीसी अंतरराष्ट्रीय बाजार और भारतीय उत्पादकों के बीच एक सेतु के रूप में कार्य करता है।
भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए क्या करना चाहिए?
अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए हमें अपनी क्षमताओं का उपयोग करके वैश्विक व्यापार की चुनौतियों को अवसरों में बदलना होगा।