क्या सुप्रीम कोर्ट ने मेधा पाटकर की याचिका को खारिज किया?

Click to start listening
क्या सुप्रीम कोर्ट ने मेधा पाटकर की याचिका को खारिज किया?

सारांश

सुप्रीम कोर्ट ने मेधा पाटकर की याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने वीके सक्सेना के खिलाफ गवाह बुलाने की मांग की थी। यह मामला 25 वर्ष पुराना है, और कोर्ट ने पहले से मौजूद फैसले में कोई बदलाव नहीं किया। जानिये इस केस की पूरी कहानी और इसके संभावित नतीजे।

Key Takeaways

  • सुप्रीम कोर्ट ने मेधा पाटकर की याचिका को खारिज किया।
  • यह मामला 25 वर्ष पुराना है।
  • वीके सक्सेना ने मानहानि के मुकदमे दायर किए थे।
  • ट्रायल कोर्ट ने पाटकर को दोषी ठहराया था।
  • सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले में कोई बदलाव नहीं किया।

नई दिल्ली, 8 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। सुप्रीम कोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर को दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना द्वारा दायर मानहानि मामले में राहत देने से इनकार कर दिया है। अदालत ने उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें पाटकर ने ट्रायल कोर्ट में अतिरिक्त गवाहों को बुलाने की मांग की थी।

इससे पहले, दिल्ली हाईकोर्ट भी इस मांग को खारिज कर चुका था। सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत नहीं मिलने के बाद, पाटकर के वकील ने अपनी याचिका वापस ले ली।

यह मानहानि का मामला लगभग 25 वर्ष पुराना है, जब विनय कुमार सक्सेना एक सामाजिक संगठन 'नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज' के प्रमुख थे। उस समय मेधा पाटकर ने उन पर कई आरोप लगाए थे।

इसका जवाब देते हुए, वीके सक्सेना ने 2001 में पाटकर के खिलाफ दो मानहानि के मुकदमे दर्ज कराए थे। एक मुकदमा टेलीविजन साक्षात्कार में की गई टिप्पणियों से संबंधित था, जबकि दूसरा प्रेस बयान से संबंधित था।

ट्रायल कोर्ट ने 1 जुलाई 2024 को मेधा पाटकर को दोषी ठहराया था, जिसमें उन्हें पांच महीने के साधारण कारावास और 10 लाख रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई गई थी।

इसके बाद एक सेशन कोर्ट ने पाटकर को अच्छे आचरण के आधार पर 25,000 रुपए के प्रोबेशन बॉंड पर रिहा कर दिया, लेकिन 1 लाख रुपए का जुर्माना देने की शर्त रखी थी।

सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त को पाटकर को निचली अदालत से मिली सजा में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था। हालांकि, अदालत ने उनके कारावास की सजा और प्रोबेशन को निरस्त कर दिया था।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस एनके सिंह की बेंच ने स्पष्ट किया था कि निचली अदालत और दिल्ली हाईकोर्ट के दोषी ठहराने के फैसले में कोई बदलाव नहीं होगा।

मेधा पाटकर ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन उन्हें कोई खास राहत नहीं मिल पाई। दिल्ली हाईकोर्ट ने भी दोषसिद्धि को बरकरार रखा था, हालांकि उसने पाटकर को राहत देते हुए हर तीन महीने में ट्रायल कोर्ट में पेश होने की शर्त में संशोधन कर दिया था, जिससे वह ऑनलाइन या वकील के माध्यम से पेश हो सकें।

Point of View

बल्कि यह हमारे समाज में न्याय और समानता की ओर बढ़ते कदमों को भी दर्शाता है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला इस बात का संकेत है कि न्यायालय अपने निर्णयों में सख्त रहेंगे, लेकिन यह भी आवश्यक है कि हमें यह समझना चाहिए कि न्याय का वास्तविक अर्थ क्या है।
NationPress
08/09/2025

Frequently Asked Questions

सुप्रीम कोर्ट ने मेधा पाटकर की याचिका को क्यों खारिज किया?
सुप्रीम कोर्ट ने अतिरिक्त गवाहों को बुलाने की मांग को खारिज किया, क्योंकि दिल्ली हाईकोर्ट ने भी इसी मांग को पहले खारिज कर दिया था।
यह मानहानि का मामला कब का है?
यह मामला लगभग 25 वर्ष पुराना है, जब वीके सक्सेना ने मेधा पाटकर के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया था।
मेधा पाटकर को क्या सजा सुनाई गई थी?
ट्रायल कोर्ट ने उन्हें पांच महीने के साधारण कारावास और 10 लाख रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई थी।
क्या सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत की सजा में कोई बदलाव किया?
सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत की सजा में कोई बदलाव नहीं किया, लेकिन उन्होंने कारावास और प्रोबेशन को निरस्त कर दिया।
क्या मेधा पाटकर को अब कोई राहत मिल पाएगी?
सुप्रीम कोर्ट में याचिका को खारिज करने के बाद, मेधा पाटकर को फिलहाल कोई राहत नहीं मिली है।