क्या आरबीआई एमपीसी के निर्णय से बाजार में क्रेडिट फ्लो बढ़ेगा और समावेशी विकास को बढ़ावा मिलेगा?

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क्या आरबीआई एमपीसी के निर्णय से बाजार में क्रेडिट फ्लो बढ़ेगा और समावेशी विकास को बढ़ावा मिलेगा?

सारांश

आरबीआई के हालिया निर्णय ने बाजार में क्रेडिट फ्लो को बढ़ाने और समावेशी विकास को प्रोत्साहित करने की उम्मीदें जगाई हैं। जानें किस प्रकार यह नीति भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में मदद करेगी।

Key Takeaways

  • आरबीआई का न्यूट्रल रुख लिक्विडिटी को संतुलित करता है।
  • गृहस्थी के लिए आसान क्रेडिट की उपलब्धता।
  • जीडीपी वृद्धि दर में सुधार के संकेत।
  • एमएसएमई क्षेत्र को प्रोत्साहन मिलेगा।
  • मुद्रास्फीति पर नियंत्रण करने की कोशिश।

नई दिल्ली, 1 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बैंक अधिकारियों ने बुधवार को भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा रेपो रेट को 5.5 प्रतिशत पर बनाए रखने और न्यूट्रल रुख अपनाने के निर्णय का स्वागत किया। उनका मानना है कि आरबीआई का यह कदम, विकास को समर्थन देने के साथ-साथ मूल्य स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए एक संतुलित दृष्टिकोण को दर्शाता है।

न्यूट्रल रुख का अर्थ है लिक्विडिटी को न तो प्रोत्साहित करना और न ही इसे रोकना, जिससे विकास को नुकसान पहुंचाए बिना मुद्रास्फीति को नियंत्रित किया जा सके।

इंडियन बैंक के एमडी और सीईओ विनोद कुमार के अनुसार, आरबीआई एमपीसी की स्थिर नीति ग्राहकों के लिए पूर्वानुमान क्षमता को बढ़ाती है, जिससे ईएमआई का पूर्वानुमान और समय पर क्रेडिट मिलना आसान होता है, जो वर्तमान खपत योजनाओं में सहायक है।

उन्होंने कहा, "एमएसएमई और आवासीय रियल एस्टेट पर जोखिम भार में कमी के साथ यह स्थिरता इस क्षेत्र में मांग को बढ़ाने में महत्वपूर्ण होगी। यह स्थिरता रुपए को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बनाने और भारत को विकसित देश बनाने के प्रयासों जैसे व्यापक आर्थिक लक्ष्यों का समर्थन करती है।"

आरबीआई ने वित्त वर्ष 26 के लिए भारत के जीडीपी वृद्धि दर के अनुमान को भी 6.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया है।

इंडियन ओवरसीज बैंक के प्रबंध निदेशक और सीईओ अजय कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि खाद्य कीमतों में गिरावट और जीएसटी रेट में कटौती से महंगाई नियंत्रण में बनी हुई है। इसके साथ, वित्त वर्ष 26 में जीडीपी वृद्धि दर को बढ़ाकर 6.8 प्रतिशत किया जाना भारत की मजबूत अर्थव्यवस्था को दर्शाता है।

श्रीवास्तव ने कहा, "बैंकिंग क्षेत्र के लिए प्रस्तावित रिस्क-बेस्ड डिपॉजिट इंश्योरेंस प्रीमियम, एमएसएमई और आवासीय रियल एस्टेट ऋण के लिए जोखिम भार में कमी और कॉर्पोरेट अधिग्रहण के लिए सक्षम फ्रेमवर्क जैसे नियामक उपायों से बाजार में क्रेडिट फ्लो बढ़ेगा और समावेशी विकास को बढ़ावा मिलेगा।"

उन्होंने आगे कहा कि मोबाइल और इंटरनेट सेवाओं के माध्यम से बेसिक बैंक सेविंग जमा खातों के लिए सेवाओं का विस्तार होने से उपभोक्ताओं पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

केपीएमजी इंडिया में पार्टनर और डिप्टी हेड, रिस्क एडवाइजरी और फाइनेंशियल रिस्क मैनेजमेंट हेड राजोसिक बनर्जी के अनुसार, आरबीआई की मौद्रिक नीति भारतीय बैंकों की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण उपायों को पेश करती है।

इसमें स्मॉल फाइनेंस बैंक को छोड़कर सभी शेड्यूल कमर्शियल बैंकों, पेमेंट बैंक, रीजनल रूरल बैंक और सभी अखिल भारतीय वित्तीय संस्थानों के लिए 1 अप्रैल 2027 से लागू होने वाला एक्सपेक्टेड क्रेडिट लॉस (ईसीएल) फ्रेमवर्क जारी करना शामिल है।

Point of View

यह कहना उचित होगा कि आरबीआई का निर्णय एक संतुलित दृष्टिकोण को दर्शाता है, जो न केवल विकास को प्रोत्साहित करता है बल्कि मूल्य स्थिरता को भी सुनिश्चित करता है। यह नीति भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत है।
NationPress
01/10/2025

Frequently Asked Questions

आरबीआई ने रेपो रेट को क्यों बनाए रखा है?
आरबीआई ने रेपो रेट को 5.5 प्रतिशत पर बनाए रखने का निर्णय लिया है ताकि मूल्य स्थिरता सुनिश्चित की जा सके और विकास को समर्थन मिले।
इस निर्णय के प्रभाव क्या होंगे?
इससे बाजार में क्रेडिट फ्लो बढ़ेगा और समावेशी विकास को बढ़ावा मिलेगा, विशेषकर एमएसएमई और आवासीय रियल एस्टेट सेक्टर में।