क्या रमेश रुलानिया के हत्याकांड में न्याय मिलेगा?

सारांश
Key Takeaways
- रमेश रुलानिया की हत्या एक संगठित अपराध का हिस्सा है।
- सात आरोपियों की गिरफ्तारी से जांच में तेजी आई है।
- स्कॉर्पियो गाड़ी का जब्त होना महत्वपूर्ण सुराग है।
- मुख्य शूटरों की गिरफ्तारी से हत्या की योजना का एक हिस्सा उजागर हुआ है।
- जांच में और लोगों के शामिल होने की संभावना है।
जयपुर, 17 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। व्यवसायी रमेश रुलानिया की हत्या के मामले में गिरफ्तार किए गए सात आरोपियों को शुक्रवार को सख्त सुरक्षा के बीच अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (एसीजेएम) अदालत में प्रस्तुत किया गया। सुनवाई के दौरान अदालत में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी थी।
10 अक्टूबर को गिरफ्तार किए गए आरोपियों, जिन पर हत्या में शामिल निशानेबाजों की मदद करने का आरोप है, को हथकड़ी पहना कर क्विक रिस्पॉन्स टीम (क्यूआरटी) के कमांडो और पुलिस की सुरक्षा में अदालत लाया गया।
सुनवाई के बाद, एसीजेएम जज कमाक्षी मीना ने दो आरोपियों पवन चरण और किशनलाल गुर्जर को तीन दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया। वहीं, अन्य पांच आरोपियों को न्यायिक हिरासत में परबतसर जेल भेजा गया।
पुलिस के सूत्रों ने बताया कि हत्या में इस्तेमाल की गई स्कॉर्पियो गाड़ी पहले ही जब्त की जा चुकी है। प्रारंभिक हिरासत के दौरान की गई पूछताछ से महत्वपूर्ण सुराग प्राप्त हुए हैं।
एक अधिकारी ने बताया कि एक बड़ी सफलता तब मिली जब चार मुख्य शूटरों में से तीन - गणपत गुर्जर, धर्मेंद्र गुर्जर और महेश गुर्जर को गुरुवार को पश्चिम बंगाल से गिरफ्तार किया गया।
अधिकारी ने कहा कि प्रत्येक संदिग्ध पर 1 लाख रुपए का इनाम है। चौथे संदिग्ध को पकड़ने की कोशिशें जारी हैं।
उन्होंने कहा कि जांचकर्ताओं का मानना है कि इस साजिश में और लोग शामिल हो सकते हैं, और उन्हें पकड़ने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।