क्या सुप्रीम कोर्ट ने अलगाववादी नेता शब्बीर शाह को अंतरिम जमानत देने से इनकार किया?

सारांश
Key Takeaways
- सुप्रीम कोर्ट ने शब्बीर शाह को अंतरिम जमानत देने से इनकार किया।
- दिल्ली उच्च न्यायालय ने उनकी जमानत याचिका खारिज की थी।
- आतंकवाद वित्तपोषण से संबंधित गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
- शाह को 2019 में गिरफ्तार किया गया था।
- एनआईए ने जांच की और आरोपपत्र में नाम शामिल किया।
नई दिल्ली, 4 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को संदिग्ध आतंकवाद वित्तपोषण मामले में कश्मीरी अलगाववादी नेता शब्बीर अहमद शाह को अंतरिम जमानत पर तत्काल रिहा करने का आदेश देने से इनकार कर दिया।
हालांकि, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने शाह द्वारा जमानत की मांग करते हुए दायर विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की राय मांगी है। शब्बीर अहमद शाह की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस ने यह दलील दी थी कि शाह "बेहद बीमार" हैं और उन्हें अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए।
इससे पहले, दिल्ली उच्च न्यायालय ने शाह की जमानत याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि एक गैरकानूनी संगठन के अध्यक्ष के रूप में, वह इसी तरह की गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल नहीं होंगे और सबूतों से छेड़छाड़ करने या उन गवाहों को प्रभावित करने का प्रयास कर सकते हैं, जिनकी अभी जांच होनी बाकी है।
न्यायमूर्ति शैलेंद्र कौर और न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ ने मुकदमे में देरी के आधार पर जमानत पर रिहाई की याचिका खारिज करते हुए कहा। "हालांकि अपीलकर्ता (शाह) पांच साल से हिरासत में है, लेकिन आरोप पहले ही तय हो चुके हैं और मुकदमा चल रहा है। अभियोजन पक्ष की ओर से गवाहों से पूछताछ न करने में कोई देरी नहीं हुई है।" इसके अलावा, न्यायमूर्ति कौर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि शाह के खिलाफ गंभीर आरोपों और संबंधित मुद्दों की संवेदनशीलता और गंभीरता को देखते हुए, घर में नज़रबंदी की उनकी वैकल्पिक याचिका पर विचार करने का कोई सवाल ही नहीं उठता।
शाह को जून 2019 में गिरफ्तार किया गया था और उस पर जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी आंदोलन को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का आरोप है। उन पर मृत आतंकवादियों के परिवारों को 'सम्मानित' करने, हवाला लेनदेन के माध्यम से धन प्राप्त करने और विध्वंसक एवं आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करने के लिए नियंत्रण रेखा व्यापार के माध्यम से धन जुटाने का भी आरोप है।
एनआईए ने दावा किया है कि कश्मीर को अस्थिर करने और भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए धन जुटाने की साजिश रचने के आरोपी कई लोग इसमें शामिल थे। शाह का नाम एनआईए द्वारा 4 अक्टूबर, 2019 को दायर दूसरे पूरक आरोपपत्र में शामिल किया गया था।