क्या एलआईसी-अदाणी रिपोर्ट का समय संदिग्ध है? विशेषज्ञों ने उठाए सवाल

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क्या एलआईसी-अदाणी रिपोर्ट का समय संदिग्ध है? विशेषज्ञों ने उठाए सवाल

सारांश

विशेषज्ञों ने हाल ही में 'द वाशिंगटन पोस्ट' की रिपोर्ट पर सवाल उठाए हैं, जिसमें कहा गया है कि यह रिपोर्ट बिहार विधानसभा चुनाव से पहले विवाद उत्पन्न करने का प्रयास हो सकती है। जानिए इस राजनीतिक खेल के पीछे की सच्चाई क्या है और एलआईसी का अदाणी ग्रुप में निवेश कैसे प्रभावित हो रहा है।

Key Takeaways

  • एलआईसी और अदाणी ग्रुप के निवेश पर सवाल उठाए गए हैं।
  • रिपोर्ट को राजनीतिक प्रेरित माना गया है।
  • अदाणी ग्रुप में एलआईसी का एक्सपोजर 56,000 करोड़ रुपए है।
  • विशेषज्ञों का मानना है कि एलआईसी का निवेश फायदेमंद रहा है।
  • रिपोर्ट का एलआईसी ने खंडन किया है।

नई दिल्ली, 27 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। अदाणी ग्रुप में एलआईसी के निवेश पर हाल ही में आई 'द वाशिंगटन पोस्ट' की रिपोर्ट को लेकर विशेषज्ञों ने संदेह व्यक्त किया है और कहा है कि यह बिहार विधानसभा चुनाव से पहले विवाद उत्पन्न करने की एक कोशिश हो सकती है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह रिपोर्ट राजनीतिक रूप से प्रेरित प्रतीत होती है, क्योंकि यह उस समय आई है जब भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से उभर रही है और बाजार में निवेशकों का विश्वास बढ़ रहा है।

इस मुद्दे पर टिप्पणी करते हुए, इनगवर्न रिसर्च सर्विसेज के संस्थापक और प्रबंध निदेशक श्रीराम सुब्रमण्यन ने राष्ट्र प्रेस को बताया कि भारत की सबसे बड़ी बीमा कंपनी के निवेश निर्णयों का राजनीतिकरण, निवेशकों या व्यापक अर्थव्यवस्था के हित में नहीं है।

उन्होंने प्रश्न उठाया, "जब विदेशी निवेशक भारतीय कंपनियों में निवेश कर सकते हैं और लाभ कमा सकते हैं, तो एलआईसी ऐसा क्यों नहीं कर सकती?"

अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि सरकार ने एलआईसी पर अदाणी ग्रुप में 3.9 अरब डॉलर निवेश करने का दबाव डाला, जिसमें मई 2025 में किया गया 568 मिलियन डॉलर (5,000 करोड़ रुपए) का निवेश भी शामिल है।

विशेषज्ञों का कहना है कि विदेशी निवेशक भारतीय इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनियों से लगातार लाभ कमा रहे हैं, इसलिए एलआईसी के निवेश पर सवाल उठाना तर्कसंगत नहीं है और इसका उद्देश्य संभवतः घरेलू संस्थानों को कमजोर करना है।

राजनीतिक विश्लेषक तहसीन पूनावाला ने अदाणी ग्रुप को निशाना बनाने वाली विदेशी नैरेटिव की आलोचना की। उन्होंने कहा कि इस तरह के हमले कुछ समय पहले शॉर्ट-सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग द्वारा किए गए थे, जो बाद में बिना आधार के साबित हुए।

पूनावाला ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत के दौरान कहा, "भारतीय कंपनियों को हिट एंड रन करने की विदेशी नीति, देश की अर्थव्यवस्था को भी नुकसान पहुंचा सकती है।"

उन्होंने कहा कि एलआईसी 57 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की संपत्तियों का प्रबंधन करता है, जिसमें से 14.5 लाख करोड़ रुपए इक्विटी में लगे हुए हैं।

वहीं, अदाणी ग्रुप में एलआईसी का एक्सपोजर करीब 56,000 करोड़ रुपए का है, जो कि उसके कुल पोर्टफोलियो का 1 प्रतिशत से भी कम है।

उन्होंने आगे कहा कि अदाणी ग्रुप के निवेश से एलआईसी को अब तक केवल लाभ हुआ है।

एलआईसी ने पहले ही वाशिंगटन पोस्ट के लेख का आधिकारिक खंडन जारी किया है और इसे "झूठा, निराधार और सच्चाई से कोसों दूर" बताया है।

Point of View

जो कि एक गंभीर चिंता का विषय है। हमें यह ध्यान रखना होगा कि निवेश के निर्णयों को राजनीतिक दबाव से प्रभावित नहीं होना चाहिए। एलआईसी जैसे संस्थान की विश्वसनीयता और भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिरता के लिए यह महत्वपूर्ण है कि सभी निवेश निर्णय निष्पक्ष और पारदर्शी हों।
NationPress
27/10/2025

Frequently Asked Questions

एलआईसी का अदाणी ग्रुप में निवेश कितना है?
एलआईसी का अदाणी ग्रुप में एक्सपोजर करीब 56,000 करोड़ रुपए का है, जो कि उसके कुल पोर्टफोलियो का 1 प्रतिशत से भी कम है।
क्या 'द वाशिंगटन पोस्ट' की रिपोर्ट विश्वसनीय है?
'द वाशिंगटन पोस्ट' की रिपोर्ट को कई विशेषज्ञों ने राजनीतिक प्रेरित बताया है और इसे संदिग्ध करार दिया है।
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले यह रिपोर्ट क्यों आई?
विशेषज्ञों का मानना है कि यह रिपोर्ट बिहार विधानसभा चुनाव से पहले विवाद उत्पन्न करने की कोशिश हो सकती है।
क्या एलआईसी का निवेश भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद है?
विशेषज्ञों का कहना है कि अदाणी ग्रुप में एलआईसी का निवेश अब तक लाभदायक रहा है।
क्या एलआईसी ने रिपोर्ट का खंडन किया है?
हाँ, एलआईसी ने 'वाशिंगटन पोस्ट' की रिपोर्ट का आधिकारिक खंडन किया है और इसे 'झूठा' बताया है।