क्या देश में 74 प्रतिशत लोग नॉन-वेज खाते हैं? नफरत फैलाना बंद करें: इमरान मसूद

सारांश
Key Takeaways
- 74 प्रतिशत लोग भारत में नॉन-वेज का सेवन करते हैं।
- नफरत फैलाने से समाज में अस्थिरता आती है।
- सरकार को व्यापारियों के लिए सही निर्णय लेने की आवश्यकता है।
- विदेश नीति में स्पष्टता की कमी है।
नई दिल्ली, 22 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। शारदीय नवरात्रि के पावन पर्व पर दिल्ली सहित कई राज्यों में नॉन-वेज की दुकानों को बंद करने की मांग ने राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है। कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने इस संदर्भ में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह से सवाल दागा। उन्होंने पूछा कि क्या उनकी द्वारा शुरू की गई नॉन-वेज दुकानें अब बंद होंगी या खुली रहेंगी?
इमरान मसूद ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह द्वारा शुरू की गई नॉन-वेज दुकानें अब बंद होंगी या खुली रहेंगी? मैं यह बताना चाहता हूं कि भारत में 74 प्रतिशत लोग नॉन-वेज खाते हैं और 14 प्रतिशत मुस्लिम हैं। इतना ही कहूंगा कि नफरत फैलाना बंद करें। अगर दुकानें बंद करना आवश्यक है तो करें, लेकिन नफरत न फैलाएं। नफरत ने देश को पहले ही बहुत नुकसान पहुंचाया है। अब आंखें खोलने का समय है।"
जीएसटी की नई दरें लागू होने पर इमरान मसूद ने चुटकी ली। उन्होंने कहा, "मेरे पास भी कई लोगों के फोन आए हैं कि 'महासेल' लगी हुई है। यह निर्णय व्यापारियों के लिए बर्बादी की दास्तान लिखेगा। पहले सरकार ने जीएसटी लगाया तो हमने कहा कि यह 'गब्बर सिंह टैक्स' है और इसे लागू न करें। इसके बावजूद इसे लागू किया गया और 55 लाख करोड़ रुपए वसूलने का काम किया गया। अब नई दरें लागू की गई हैं, लेकिन व्यापारियों ने तो पहले से बढ़ी हुई दरों पर माल उठाया था। क्या व्यापारी अपना नुकसान कर नई दरों पर माल बेचेंगे? मैं मानता हूं कि यह निर्णय व्यापारियों की बर्बादी लेकर आएगा क्योंकि यह सरकार बिना पूछे ही फैसले लेती है और इसका नुकसान पूरा देश इस समय भुगत रहा है।"
इमरान मसूद ने भारत की विदेश नीति पर टिप्पणी करते हुए कहा, "इससे ज्यादा शर्मनाक बात यह नहीं हो सकती कि जो हमारे दोस्त (सऊदी अरब) थे, हम उनके साथ खड़े नहीं हुए। यूएन में सरकार ने फिलिस्तीन का समर्थन किया, लेकिन उनके समर्थक यहां इजरायल का गुणगान करते हैं। मैं पूछता हूं कि वे देश को कहां लेकर जाना चाहते हैं।"