क्या साइबर ठगों ने इंदौर में फाइनेंस कंपनी की डायरेक्टर को किया डिजिटल अरेस्ट?

सारांश
Key Takeaways
- साइबर ठगों से सावधान रहें।
- किसी भी संदिग्ध कॉल पर तुरंत पुलिस को सूचित करें।
- क्राइम ब्रांच समय पर मदद कर सकती है।
- साइबर अपराधियों के तरीकों को समझें।
- आर्थिक नुकसान से बचने के लिए सतर्क रहें।
इंदौर, १७ अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में एक डिजिटल अरेस्ट से संबंधित घटना सामने आई है, जिसमें साइबर ठगों ने एक फाइनेंस कंपनी की डायरेक्टर को निशाना बनाया। ठगों ने उन्हें 'डिजिटल अरेस्ट' करने का प्रयास किया। लेकिन, समय पर मध्य प्रदेश पुलिस की क्राइम ब्रांच ने महिला को बचा लिया।
कंपनी की डायरेक्टर मोनिका सूद को एक अनजान कॉल आई, जहां कॉल करने वाले ने खुद को मुंबई के कोलाबा थाने का पुलिस अधिकारी बताया। कॉलर ने महिला को धमकी दी कि उनकी मोबाइल सिम का उपयोग देशविरोधी गतिविधियों में हुआ है और उनके खिलाफ गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया गया है। उसने डराने की कोशिश करते हुए कहा कि यदि वे जांच में सहयोग नहीं करती हैं तो उन्हें कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। कॉलर ने मोनिका को निर्देश दिया कि वे फोन पर बने रहें और उसके निर्देशों का पालन करें।
घटना के समय मोनिका सूद के पति सुदीप सूद घर पर मौजूद थे। जब उन्होंने स्थिति की गंभीरता का आभास किया, तो उन्होंने तुरंत पुलिस को सूचित किया। सूचना मिलते ही क्राइम ब्रांच की टीम वहां पहुंची और मोनिका सूद को साइबर ठगों के चंगुल से सुरक्षित बाहर निकाला।
एडिशनल डीसीपी राजेश दंडोतिया ने मौके पर पहुंचकर दंपति से मुलाकात की और उन्हें इस प्रकार की साइबर ठगी के बढ़ते मामलों के बारे में जागरूक किया। उन्होंने बताया कि यह साइबर अपराधियों का नया तरीका है, जिसमें वे खुद को वरिष्ठ अधिकारी बताकर पीड़ित को डराते हैं और आर्थिक नुकसान पहुंचाते हैं।
राजेश दंडोतिया ने कहा कि साइबर अपराधियों ने महिला को लगभग एक घंटे तक 'डिजिटल अरेस्ट' करके रखा था। ठगों ने महिला को तीन अलग-अलग नंबरों से कॉल किए और अपनी पहचान पुलिस अधिकारियों के रूप में बताई। इसके अलावा, ठगों ने महिला को किसी होटल में ठहरने की जानकारी भी दी, जो सही थी। इसी आधार पर ठगों ने विभिन्न अधिकारियों के रूप में महिला से बातचीत की।