क्या सुप्रीम कोर्ट दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण के मामले में ठोस कदम उठाएगा?

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क्या सुप्रीम कोर्ट दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण के मामले में ठोस कदम उठाएगा?

सारांश

दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण ने सुप्रीम कोर्ट की चिंता को बढ़ा दिया है। 1 दिसंबर को होने वाली सुनवाई में यह देखा जाएगा कि क्या ठोस कदम उठाए जा सकते हैं। यह नागरिकों के स्वास्थ्य और हवा की गुणवत्ता के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है।

Key Takeaways

  • सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण पर गंभीर चिंता व्यक्त की है।
  • 1 दिसंबर को होने वाली सुनवाई महत्वपूर्ण है।
  • सरकार की बनाई समितियों की समीक्षा आवश्यक है।
  • प्रदूषण के मामलों में नियमित सुनवाई आवश्यक है।
  • नागरिकों के स्वास्थ्य के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।

नई दिल्ली, 27 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गहरी चिंता जताई है। इस मामले पर 1 दिसंबर यानी सोमवार को सुनवाई होने जा रही है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि हवा की गुणवत्ता की समस्या गंभीर है और इसे तुरंत हल करने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।

एमिकस क्यूरी अपराजिता सिंह ने कोर्ट को बताया कि दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर अत्यंत गंभीर है और इसे एक स्वास्थ्य आपातकाल के रूप में देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि आम नागरिकों की जान और स्वास्थ्य दोनों खतरे में हैं।

मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सूर्यकांत ने इस मुद्दे पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा, "क्या किसी भी ज्यूडिशियल फोरम के पास ऐसा कोई जादू है, जिससे यह समस्या समाप्त हो सके? मुझे पता है कि यह दिल्ली-एनसीआर के लिए एक खतरनाक समय है। हमें बताएं कि हम क्या आदेश दे सकते हैं ताकि लोगों को तुरंत साफ हवा मिल सके।"

सीजेआई ने आगे कहा कि प्रदूषण के पीछे केवल एक कारण नहीं है और इसे सिर्फ विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों पर छोड़ना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि हमें सभी कारणों की पहचान करनी होगी। हर क्षेत्र के लिए अलग समाधान की आवश्यकता है। इसके लिए सरकार द्वारा बनाई गई समितियों और उनके कार्यों की समीक्षा करना आवश्यक है। साथ ही नियमित निगरानी की प्रक्रिया को मजबूत करना जरूरी है।

सीजेआई सूर्यकांत ने यह भी कहा कि प्रदूषण के मामलों पर नियमित सुनवाई होनी चाहिए। उन्होंने नोट किया कि अक्सर दीपावली के समय प्रदूषण से संबंधित मामलों की सुनवाई होती है, लेकिन उसके बाद ये मामले सूची से गायब हो जाते हैं। ऐसे मामलों में निरंतर निगरानी और नियमित सुनवाई आवश्यक है ताकि ठोस और प्रभावी निर्णय लिए जा सकें।

अब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 1 दिसंबर को अगली सुनवाई की तारीख तय की है और इस दौरान यह देखा जाएगा कि तत्काल और दीर्घकालिक उपाय क्या किए जा सकते हैं। कोर्ट की यह पहल नागरिकों की सेहत और दिल्ली-एनसीआर की हवा की गुणवत्ता सुधारने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।

विशेषज्ञों का मानना है कि दिल्ली-एनसीआर में बढ़ता प्रदूषण न केवल श्वसन रोगों को बढ़ाता है, बल्कि बच्चों, बुजुर्गों और अस्वस्थ लोगों के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न करता है। सुप्रीम कोर्ट की इस सक्रिय भूमिका से उम्मीद जताई जा रही है कि प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए ठोस रणनीति तैयार की जाएगी।

Point of View

बल्कि यह राष्ट्रीय और वैश्विक स्वास्थ्य के लिए चुनौती बन चुकी है। यह समय है जब सभी संबंधित पक्ष एक साथ मिलकर काम करें और दीर्घकालिक समाधान खोजें।
NationPress
27/11/2025

Frequently Asked Questions

दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण की स्थिति क्या है?
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर अत्यंत गंभीर है, जिसे स्वास्थ्य आपातकाल के रूप में देखा जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण के मामले में क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण की समस्या पर गहरी चिंता जताई और 1 दिसंबर को सुनवाई का निर्णय लिया।
क्या प्रदूषण के मामले पर नियमित सुनवाई होगी?
सीजेआई सूर्यकांत ने कहा कि प्रदूषण के मामलों पर नियमित सुनवाई होनी चाहिए।
क्या यह समस्या केवल सरकार के कंधों पर है?
नहीं, यह समस्या सभी के प्रयासों की मांग करती है, और केवल विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों पर छोड़ना उचित नहीं है।
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है?
यह न केवल श्वसन रोगों को बढ़ाता है, बल्कि बच्चों और बुजुर्गों के लिए भी गंभीर खतरा उत्पन्न करता है।
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