क्या इजरायली बस्तियों का विस्तार अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है?
सारांश
Key Takeaways
- इजरायली बस्तियों का विस्तार अंतरराष्ट्रीय कानून के खिलाफ है।
- फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना में बाधा डालना एक गंभीर मुद्दा है।
- अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस मुद्दे पर विभाजित है।
- बुनियादी ढांचे के विकास का उद्देश्य कब्जे को मजबूत करना है।
- फिलिस्तीनी लोगों की आवाजाही पर पाबंदियां बढ़ रही हैं।
नई दिल्ली, 22 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत में स्थित फिलिस्तीन दूतावास ने इजरायली बस्तियों के विस्तार पर एक महत्वपूर्ण बयान जारी किया है। उस बयान में उल्लेख किया गया है कि अवैध कदमों और नीतियों के अपने लंबे इतिहास को आगे बढ़ाते हुए, इजराइल के वित्त मंत्री बेजेल स्मोट्रिच ने घोषणा की है कि इजरायली कैबिनेट ने कब्जे वाले वेस्ट बैंक में 19 और अवैध बस्तियों की स्थापना और उनके 'विनियमन' को मंजूरी दी है।
इस बयान में कहा गया है कि पिछले तीन वर्षों में 69 नई बस्तियों को विनियमित किया गया है, जो अपने आप में एक अभूतपूर्व रिकॉर्ड है। इस घोषणा के दौरान, उन्होंने यह भी कहा कि उनका उद्देश्य क्षेत्र में फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना को रोकना है।
फिलिस्तीन का कहना है कि यह भड़काऊ बयान एक बार फिर इजरायली सरकार की असली सोच को उजागर करता है। यह सोच शांति के प्रति खुली दुश्मनी को दर्शाती है और दो-राज्य समाधान के खिलाफ है। ऐसे बयान स्पष्ट करते हैं कि इजरायल का बस्ती विस्तार एक सोची-समझी नीति है, जिसका उद्देश्य कब्जे को मजबूती प्रदान करना और फिलिस्तीनी आत्मनिर्णय को कमज़ोर करना है।
फिलिस्तीन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि यह याद रखना आवश्यक है कि इजरायली बस्तियां अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत अवैध हैं। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने 19 जुलाई 2024 को अपनी सलाहकार राय में स्पष्ट रूप से कहा था कि वेस्ट बैंक और पूर्वी यरुशलम समेत कब्जे वाले फिलिस्तीनी क्षेत्रों में इजराइल की मौजूदगी गैरकानूनी है और यह चौथे जिनेवा कन्वेंशन का उल्लंघन है।
न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि कब्जे वाले क्षेत्रों में इजरायल की नागरिक आबादी को बसाना अंतरराष्ट्रीय कानून का गंभीर उल्लंघन है। साथ ही, इजराइल को सभी बस्ती गतिविधियां बंद करने और कब्जे वाले फिलिस्तीनी इलाकों से बसने वालों को हटाने का निर्देश दिया गया है।
फिलिस्तीन का कहना है कि बस्तियों के विस्तार को बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे के प्रोजेक्ट्स, विशेषकर सड़कों के निर्माण से बढ़ावा दिया जा रहा है। इन सड़कों का उपयोग फिलिस्तीनी भूमि पर कब्जा करने और बस्तियों को मजबूत करने के लिए किया जाता है। 6 मई 2025 को इजरायली वित्त मंत्री ने कहा था कि सरकार ने जनवरी 2025 से सड़क निर्माण पर सात अरब शेकेल, यानी करीब 2.1 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश किया है।
बयान में कहा गया है कि इसके विपरीत, कब्जे वाले वेस्ट बैंक में फिलिस्तीनियों की आवाजाही और पहुंच पर सख्त पाबंदियां हैं। कम से कम 849 इजरायली चेकपोस्ट, नाकाबंदी और अन्य बाधाएं उनकी आवाजाही को बहुत सीमित करती हैं। जमीन कब्जाने के साथ-साथ सुरक्षा के नाम पर फिलिस्तीनी कृषि भूमि, फसलों और जैतून के बागों को भी व्यवस्थित तरीके से नष्ट किया जा रहा है।
फिलिस्तीन ने कहा कि इजरायली बस्तियों का लगातार विस्तार केवल अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के प्रति इजराइल की अवहेलना को नहीं दर्शाता, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय के दोहरे मापदंडों और पाखंड को भी उजागर करता है। कई देश खुले तौर पर बस्तियों का विरोध करते हैं और मानवाधिकारों की बात करते हैं, लेकिन उनके बाजारों में सेटलमेंट से जुड़े उत्पाद खुलेआम बिक रहे हैं। इसके अलावा, उनके वित्तीय संस्थान और पेंशन फंड भी सीधे या परोक्ष रूप से इन गतिविधियों में निवेश कर रहे हैं। फिलिस्तीन का कहना है कि ऐसी अंतरराष्ट्रीय मिलीभगत के बिना इजराइल का बस्ती कारोबार न तो चल सकता था और न ही इतना फैल सकता था।