क्या जैसलमेर बस हादसे के बाद परिजनों को मिल रहा शव? मुआवजे को लेकर धरना?

सारांश
Key Takeaways
- जैसलमेर बस हादसे में 20 लोगों की जलकर मृत्यु हुई।
- मृतकों के शव डीएनए सैंपल की जांच के बाद दिए जा रहे हैं।
- परिजन मुआवजे की मांग को लेकर धरने पर बैठे हैं।
- सरकार पर लापरवाही के आरोप लगे हैं।
- घटना ने स्वास्थ्य सेवाओं की कमी को उजागर किया है।
जोधपुर, 16 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। राजस्थान के जैसलमेर-जोधपुर हाईवे पर मंगलवार को हुए एक भयानक बस हादसे में कुल 20 लोगों की जलकर मृत्यु हो गई। मृतकों के डीएनए सैंपल की जांच कर उनके परिजनों को शव सौंपा जा रहा है।
जोधपुर के महात्मा गांधी अस्पताल में मृतकों और उनके परिजनों का डीएनए सैंपल मिलाया गया था। जिनकी रिपोर्ट मिल गई है, उन्हें शव दिए जा रहे हैं। वहीं, जिनकी रिपोर्ट अभी तक नहीं आई है, उन्हें इंतजार करना पड़ेगा। अस्पताल और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में दस-दस शव रखे गए हैं।
आपको यह जानकर दुख होगा कि जैसलमेर में मंगलवार रात को एक स्लीपर बस में आग लगने से 20 यात्रियों की जलने से मृत्यु हो गई थी। हादसा इतना भीषण था कि शवों की पहचान करना कठिन हो गया था, जिसके कारण मृतकों के डीएनए सैंपल लिए गए थे।
इसी बीच, बस हादसे में एक ही परिवार के पांच लोगों की मृत्यु के मामले में परिजन महात्मा गांधी अस्पताल की मोर्चरी में धरना दे रहे हैं। उनका कहना है कि जब तक मुख्यमंत्री 50 लाख रुपए के मुआवजे की घोषणा नहीं करेंगे, तब तक उनका धरना जारी रहेगा।
मृतक के परिजन जोराराम मेघवाल ने पत्रकारों से कहा कि यदि हमें 24 घंटे बैठना पड़े, तो भी कोई दिक्कत नहीं है।
धरने की सूचना पर पुलिस प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे हैं और मामले को शांत करने का प्रयास कर रहे हैं। हादसे के बाद विपक्ष ने भी राजस्थान सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाया।
सांसद हनुमान बेनीवाल ने कहा कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ की पत्नी के लिए तुरंत हेलीकॉप्टर भेजा गया, लेकिन इस बस हादसे में गंभीर रूप से झुलसे नागरिकों के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई।
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि राजस्थान के मुख्यमंत्री को मीडिया के सामने आकर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।