क्या अल फलाह यूनिवर्सिटी के फाउंडर जावेद सिद्दीकी को 14 दिन की ईडी हिरासत में भेजा गया?
सारांश
Key Takeaways
- जावेद सिद्दीकी को 14 दिन की ईडी हिरासत में भेजा गया।
- फर्जी मान्यता के जरिए भारी धन वसूली का आरोप।
- मामले की अगली सुनवाई 15 दिसंबर को होगी।
- ईडी का कहना है कि जावेद की जांच में कई खुलासे हो सकते हैं।
- इस मामले ने शिक्षा के क्षेत्र में गंभीर सवाल उठाए हैं।
नई दिल्ली, 1 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। अल फलाह यूनिवर्सिटी के संस्थापक जावेद अहमद सिद्दीकी को साकेत कोर्ट ने 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। इस मामले की अगली सुनवाई 15 दिसंबर को होगी।
जावेद अहमद सिद्दीकी से पूछताछ के दौरान कई महत्वपूर्ण खुलासे होने की संभावना है।
ज्ञात हो कि इससे पहले भी जावेद अहमद सिद्दीकी को ईडी की 13 दिनों की हिरासत में भेजा गया था। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) शीतल चौधरी ने 20 नवंबर को जावेद अहमद सिद्दीकी को ईडी रिमांड पर भेजने का आदेश दिया था।
अपने आदेश में एएसजे ने कहा था कि ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों का पालन किया है, और अपराध की गंभीरता को देखते हुए सिद्दीकी को 13 दिनों के लिए ईडी की हिरासत में भेजा जाना चाहिए।
यूनिवर्सिटी के संस्थापक जावेद को 19 नवंबर को दिल्ली में लाल किले के पास एक आतंकी हमले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ्तार किया गया था।
यूनिवर्सिटी की ओर से किए जा रहे कथित फर्जी मान्यता और भ्रामक दावों की जांच में एक बड़ा खुलासा हुआ है।
रिमांड नोट के अनुसार, इस संस्था ने पिछले कई वर्षों में छात्रों को भ्रमित कर न केवल एडमिशन लिए, बल्कि भारी रकम भी वसूली है। आईटीआर के विश्लेषण से यह भी पता चला है कि वित्तीय वर्ष 2014-15 से 2024-25 के बीच यूनिवर्सिटी ने करोड़ों रुपए की आय दिखाई थी।
ईडी की जांच में सामने आया है कि वित्तीय वर्ष 2014-15 और 2015-16 में क्रमश: 30.89 करोड़ और 29.48 करोड़ रुपए को स्वैच्छिक योगदान बताया गया था, लेकिन 2016-17 के बाद इनकम को सीधे मेन ऑब्जेक्ट या एजुकेशनल रेवेन्यू के रूप में दिखाया जाने लगा था।
जांच में यह भी पता चला कि वित्तीय वर्ष 2018-19 में 24.21 करोड़ रुपए और वित्तीय वर्ष 2024-25 में 80.01 करोड़ रुपए की आय दर्ज की गई थी। कुल मिलाकर कथित तौर पर फर्जी मान्यता के नाम पर लगभग 415.10 करोड़ रुपए की रकम हासिल की गई थी।
एजेंसियों का दावा है कि यूनिवर्सिटी ने झूठे दावों और भ्रामक प्रैक्टिस के जरिए छात्रों के विश्वास, भविष्य और उम्मीदों के साथ खिलवाड़ किया है। इस मामले में ईडी की जांच दिल्ली पुलिस की एफआईआर से शुरू हुई, जिसके आधार पर अब मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल से भी पड़ताल जारी है।