क्या झारखंड हाईकोर्ट ने वाहनों से राजनीतिक दलों के झंडे और काला शीशा हटाने का आदेश दिया?

सारांश
Key Takeaways
- राजनीतिक दलों के झंडे और नामप्लेट हटाना अनिवार्य है।
- काले शीशे का उपयोग करने वाले वाहनों पर कड़ी कार्रवाई होगी।
- ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए प्रेशर हॉर्न पर पूर्ण प्रतिबंध है।
- अतिरिक्त लाइट्स को हटाना आवश्यक है।
- राज्य सरकार को नियमों का पालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।
रांची, 14 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य में सभी प्रकार के वाहनों से राजनीतिक दलों के झंडे, नेमप्लेट, काला शीशा, प्रेशर और मल्टीटोन हॉर्न तथा अतिरिक्त लाइट हटाने का आदेश दिया है।
चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की बेंच ने आदर्श सेवाक समाज द्वारा दायर जनहित याचिका पर गुरुवार को सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को इस आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए कहा है। अदालत ने स्पष्ट किया कि नियमों के पालन में किसी प्रकार की ढील बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
कोर्ट ने रांची के ट्रैफिक एसपी को चार सप्ताह के भीतर पूरी कार्रवाई की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। राज्य सरकार को दिए गए आदेश में कहा गया है कि राज्य में मोटर वाहन नियमों का सख्ती से पालन किया जाए और किसी भी वाहन में अतिरिक्त लाल या नीली लाइट, जो आपातकालीन वाहन जैसी छवि देती हैं, हटाई जाए।
इसके अलावा, अदालत ने कहा कि वाहनों में प्रेशर हॉर्न और मल्टीटोन हॉर्न का उपयोग पूरी तरह से प्रतिबंधित किया जाए। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने अदालत को बताया कि समय-समय पर वाहनों की जांच की जाती है और नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है।
अदालत में दायर याचिका में कहा गया था कि बसों और अन्य वाहनों में प्रेशर हॉर्न का इस्तेमाल किया जा रहा है। इससे ध्वनि प्रदूषण बढ़ रहा है और लोगों को परेशानी हो रही है। वाहनों में काला शीशा का इस्तेमाल किया जा रहा है। काले शीशे वाले वाहनों से आपराधिक घटनाओं को अंजाम देने की घटनाएं भी सामने आ रही हैं। राजनीतिक दल के लोग वाहनों में नेम प्लेट और पद का बोर्ड तथा राजनीतिक दल का झंडा लगाकर प्रभाव जमा रहे हैं।