क्या झारखंड की सरकार सुरक्षा उपकरणों की खरीद में गड़बड़ी छिपा रही है?

सारांश
Key Takeaways
- भ्रष्टाचार के आरोपों की गंभीरता
- जांच समिति की कार्यप्रणाली पर सवाल
- व्हिस्ल ब्लोअर एक्ट का महत्व
- सरकारी पारदर्शिता की आवश्यकता
- जनता का विश्वास बनाना जरूरी है
रांची, 15 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड भाजपा प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने सोमवार को हेमंत सोरेन सरकार पर गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार सुरक्षा उपकरणों की खरीद में हुए भ्रष्टाचार को छिपाने का प्रयास कर रही है।
प्रतुल शाहदेव ने मीडिया से बातचीत में बताया कि एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ने व्हिसल ब्लोअर एक्ट के तहत शिकायत की थी कि उपकरणों को बाजार के मुकाबले चार से पांच गुना ज्यादा कीमत पर खरीदा गया। इतने गंभीर आरोपों के बावजूद सरकार ने लंबे समय तक कोई कार्रवाई नहीं की। बाद में, जब दबाव बढ़ा, तो एक जांच समिति बनाई गई, लेकिन उसकी अध्यक्षता एक कनिष्ठ अधिकारी, आईजी नरेंद्र कुमार को दी गई।
उन्होंने इसे अजीब बताते हुए कहा कि कैसे एक जूनियर अधिकारी अपने सीनियर अधिकारी की जांच कर सकता है। उन्होंने आरोप लगाया कि भारी विरोध के बाद समिति बदली गई और एडीजी स्तर के अधिकारी टी कांडास्वामी को अध्यक्ष बनाया गया। लेकिन, उनके अवकाश पर रहने के कारण जांच की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ सकी।
प्रतुल ने दावा किया कि अब तक समिति की एक भी बैठक नहीं हुई है। इससे साफ है कि सरकार मामले की जांच चाहती ही नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने का प्रयास कर रही है।
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि व्हिस्ल ब्लोअर एक्ट के अनुसार कोई भी अधिकारी यदि भ्रष्टाचार का पर्दाफाश करे तो उसे हर स्तर पर सुरक्षा मिले और उसकी पहचान गोपनीय रखी जाए। लेकिन, झारखंड में स्थिति उलट है। यहां सरकार ने शिकायतकर्ता को असुरक्षित कर दिया और आरोपित अधिकारी को बचाने का प्रयास किया।
उन्होंने आगे कहा कि यह न केवल कानून की भावना के विपरीत है बल्कि भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देने का सीधा उदाहरण है। प्रतुल ने इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय और पारदर्शी जांच की मांग की ताकि सच सामने आए और दोषियों को सजा मिले।