क्या 16 सितंबर को जन्मे खेल जगत के ये दो सितारे भारत का नाम रोशन करने में सफल रहे?

सारांश
Key Takeaways
- गीता रानी ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन किया है।
- आर. रामचंद्र राव ने अंपायरिंग से क्रिकेट में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
- 16 सितंबर का दिन भारतीय खेल जगत के लिए महत्वपूर्ण है।
- महिला वेटलिफ्टिंग में गीता रानी की उपलब्धियाँ सराहनीय हैं।
- क्रिकेट में रामचंद्र राव का योगदान अनुशासन का प्रतीक है।
नई दिल्ली, 15 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय खेल जगत के लिए '16 सितंबर' का दिन विशेष महत्व रखता है। इसी दिन दो ऐसी प्रतिभाएं जन्मी हैं, जिन्होंने खेलों में भारत का मान बढ़ाया है। इनमें एक प्रसिद्ध महिला वेटलिफ्टर हैं और दूसरे एक सम्मानित क्रिकेट अंपायर। आइए, इन दोनों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
गीता रानी: 16 सितंबर 1981 को संगरूर में जन्मी गीता रानी भारत की प्रमुख वेटलिफ्टर हैं, जिन्होंने राष्ट्रमंडल खेलों समेत अनेक अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक जीतकर देश का गौरव बढ़ाया। उन्होंने भारतीय वेटलिफ्टिंग को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।
गीता रानी ने केवल 13 साल की उम्र में सुरिंदर सिंह से कोचिंग लेना शुरू किया।
साल 2003 में एफ्रो-एशियन गेम्स में उन्होंने ब्रॉन्ज मेडल जीता, जो हैदराबाद में आयोजित हुआ था। इसके बाद, 2004 में एशियन चैंपियनशिप में उन्होंने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया और तीन सिल्वर मेडल अपने नाम किए।
कॉमनवेल्थ गेम्स 2006 में मेलबर्न में गीता रानी ने 75+ भारवर्ग में स्वर्ण पदक जीता। हालांकि, दिल्ली में आयोजित कॉमनवेल्थ गेम्स 2010 में उन्हें चौथे स्थान पर संतोष करना पड़ा। वेटलिफ्टिंग में उनके योगदान के लिए वर्ष 2006 में गीता रानी को 'अर्जुन अवार्ड' से सम्मानित किया गया।
आर. रामचंद्र राव: आर. रामचंद्र राव भारत के प्रसिद्ध क्रिकेट अंपायर थे। उन्होंने घरेलू क्रिकेट में अपनी निष्पक्षता और सटीक निर्णयों से अपनी पहचान बनाई।
16 सितंबर 1931 को जन्मे रामचंद्र राव ने फर्स्ट क्लास क्रिकेट में अंपायरिंग की शुरुआत रणजी ट्रॉफी से की। उन्होंने 1975 में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बीच हुए क्रिकेट मैच में डेब्यू किया, जो अलीगढ़ में खेला गया। इसके बाद उन्होंने 20 प्रथम श्रेणी मुकाबलों में अंपायरिंग की।
मार्च 1987 में, रामचंद्र राव ने भारत-पाकिस्तान के बीच ऐतिहासिक मुकाबले में अंपायर के तौर पर भूमिका निभाई। यह मैच अहमदाबाद में खेला गया था। 11 जून 2017 को 85 वर्ष की आयु में रामचंद्र राव ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। क्रिकेट जगत में उनके योगदान को खेल भावना और अनुशासन के प्रतीक के रूप में याद किया जाता है।