क्या झारखंड विधानसभा में नियुक्तियों में गड़बड़ी के मामले में सुप्रीम कोर्ट का आदेश महत्वपूर्ण है?
सारांश
Key Takeaways
- सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल सीबीआई जांच पर रोक लगाई।
- राजनीतिक दबाव का सवाल उठाया गया।
- झारखंड विधानसभा में नियुक्तियों में कथित अनियमितताएं सामने आईं।
- सुनवाई की अगली तारीख पर सीबीआई के आवेदन की वैधता पर चर्चा होगी।
रांची/नई दिल्ली, 18 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड विधानसभा में नियुक्तियों और पदोन्नतियों में कथित अनियमितताओं को लेकर चल रहे विवाद के बीच, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा है कि वर्तमान में इस मामले में सीबीआई जांच शुरू नहीं होगी। मंगलवार को, अदालत ने सीबीआई द्वारा दायर उस इंटरलोक्यूटरी आवेदन को खारिज कर दिया, जिसमें उसने विधानसभा नियुक्ति घोटाले पर लगी रोक को हटाने और प्रारंभिक जांच (प्रिलिमिनरी इन्क्वायरी) को आगे बढ़ाने की अनुमति मांगी थी।
चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ ने सुनवाई के दौरान झारखंड विधानसभा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल के हवाले से कहा कि यह मामला राजनीति से प्रेरित है। जब भी ऐसे मुद्दे उठते हैं, सीबीआई बिना किसी ठोस कारण के हस्तक्षेप कर देती है। उन्होंने यह भी कहा कि विधानसभा की याचिका पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट पहले ही सीबीआई जांच पर रोक लगा चुका है, इसलिए सीबीआई का इस मामले में आगे बढ़ने का कोई आधार नहीं है।
सीबीआई की ओर से एएसजी एसवी राजू ने इन दलीलों का विरोध करते हुए कहा कि नियुक्तियों में गंभीर गड़बड़ियां हुई हैं और एजेंसी को जांच करने की अनुमति दी जानी चाहिए। हालांकि, पीठ ने इस तर्क को अस्वीकार कर दिया और कहा कि दायर आवेदन स्वीकार करने योग्य नहीं है। सुनवाई के दौरान पीठ ने सीबीआई की भूमिका पर तीखी टिप्पणी की।
सीजेआई गवई ने प्रश्न उठाया, "आप अपनी राजनीतिक लड़ाइयों के लिए एजेंसी का उपयोग क्यों करते हैं? कई मामलों में हमने कहा है कि जांच एजेंसियों का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए।"
वास्तव में, सामाजिक कार्यकर्ता शिव शंकर शर्मा ने झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि विधानसभा में बड़े पैमाने पर अवैध नियुक्तियां हुई हैं, जिनकी सीबीआई से जांच कराई जानी चाहिए। याचिका में यह भी कहा गया था कि 2018 में तत्कालीन राज्यपाल ने विधानसभा में हुई कथित अनियमितताओं की जांच के लिए 30 बिंदुओं पर कार्रवाई का निर्देश दिया था, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
सितंबर 2024 में झारखंड हाईकोर्ट ने शर्मा की याचिका स्वीकार करते हुए सीबीआई को प्रारंभिक जांच का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि आरोप गंभीर हैं और इनमें उच्च पदों पर बैठे लोगों की मिलीभगत की आशंका है, इसलिए राज्य पुलिस द्वारा निष्पक्ष जांच संभव नहीं है। हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ झारखंड विधानसभा और राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की। इस याचिका में कहा गया कि हाईकोर्ट ने बिना मजबूत आधार के, राज्य की एजेंसी को अयोग्य बताते हुए सीधे सीबीआई को पहली जांच एजेंसी बना दिया, जो न्यायिक दृष्टि से सही नहीं है।
इस याचिका पर नवंबर 2024 में सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सीबीआई जांच के हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पहले यह तय किया जाएगा कि क्या सीबीआई को सीधे जांच सौंपने का आधार मजबूत था या नहीं। मामले की अगली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट सीबीआई के आवेदन और हाईकोर्ट के आदेश की वैधता पर विस्तृत सुनवाई करेगा।